जानिए, क्यों कुतरते हैं नाखून!

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 15 सितम्बर 2017, 11:22 AM (IST)

क्या आप खुद के नाखून दांतों से कुतरते रहना?
कोई बीमारी है या फिर कुछ और?
दुनिया के पांच अरब लोगों में से लगभग 60 करो़ड लोग नाखून चबाने की आदत से मजबूर हैं, भले ही मखौल बनते रहें?
मनोवैज्ञानिकों की मानें तो दरअसल ऎसा कुछ नहीं है, जब कोई इंसान परेशान या बोर होने लगता है तो नाहक ही बेचारे मासूम नाखून खुद-ब-खुद दांतों तले आ जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है- यह एक सहज प्रवृत्ति है, बच्चो को बचपन से सिखाया जाता है कि नाखून चबाना गलत है। ऎसा करने पर बराबर के उम्र वालों के बीच भी मजाक बनता है। ब़डे भी फटकार लगाते हैं, बावजूद तमाम टोका-टोकी के भी बच्चे इस आदत को लेकर चौकन्ने नहीं हो पाते और ब़डी उम्र तक आदत बरकरार रहती है। [@ इन दिशाओं में करोगे काम तो हर काम होगा हिट]

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि नेल बाइटिंग दरअसल बच्चों और युवाओं में मानसिक तनाव और ऑवसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर का लक्षण है। वे सचेत करते हैं, नेल बाइटिंग से गंभीर किस्म की संक्रामक बीमारियों का खतरा तो रहता ही है, दूसरे नाखून का मूल आकार भी हमेशा के लिए बदशक्ल हो सकता है।

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हाल ही इस पर एक गंभीर शोध और सर्वे हुआ है, जो बताता है नाखून चबाने की आदत का एक दूसरा पहलू भी है। नाखून चबाने की आदत का कुंडली और ग्रहों से सीधा रिश्ता है। क्या कोई ग्रह किसी इंसान को ऎसा करने को बाध्य करता है। क्या इंसान की हर आदतों का सरोकर किसी न किसी ग्रह से है?

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दरअसल नाखून चबाना आपके व्यक्तित्व की अस्थिरता को जाहिर करता है। ऎसे लोग जब किसी उलझन में होते हैं और उलझन को सुलझाने का सिरा पक़ड में नहीं आ रहा होता तो अपने नाखूनों को चबाने लगते हैं। ऎसा करते वक्त दरअसल वे अपनी खीज ही निकालते हैं।

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नाखून चबाने वाले लोग अतिवाद के शिकार होते हैं। अत्यधिक महत्वाकांक्षा या फिर खुद को अव्वल दर्जे का नकारा मानना ऎसे लोगों के भीतर छिपा हुआ होता है। हालांकि देखने में यही आता है कि 90 फीसदी लोग निचले दर्जे की भावनाओं की जद में होते है।

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आंक़डे बताते हैं कि नाखून कुतरने की आदत से सबसे ज्यादा तंग 14 से 25 साल के युवा हैं। इनमें 34 फीसदी संख्या ल़डकियों की और 66फीसदी संख्या ल़डकों की है। हैरानी की बात तो यह है कि सर्वे रिपोर्ट इस तथ्य और सोच को झुठलाती है। नाखून चबाना ल़डकी की फितरत का हिस्सा है। सर्वे में शामिल कुल लोगों में 14 से 25 के दरम्यान युवाओं की 76फीसदी हिस्सेदारी रही।

कुण्डली के ग्रह
इस स्थिति को ज्योतिष के आइने से देखें तो ग्रहों की चालों के सामने बेबस इंसान के खुद को दुरूस्त करने की पहल आवश्यक हो जाती है। नाखून चबाने की आदत परिवार से मिली विरासत भी हो सकती है। यानि ग्रहों की चाल आपकी संतति को भी प्रभावित कर रही है।

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