नई दिल्ली। कालाधन पर पूरी तरह से रोक के लिए सरकार ने फिर एक और कदम उठाया
है। केंद्र सरकार ने नया आदेश पारित किया है। सरकार का मानना है कि इस
आदेश के बाद बैंक और डाकघरों में कई साल से चल रहे बचत खातों में जमा
अघोषित आय पकड में आ जाएगी।
माना जा रहा है कि इस आदेश के बाद सरकार ने विपक्ष के उन हमलों की धार कम
करने की कोशिश भी की है जिसके तहत विपक्ष लगातार कहता आ रहा था कि सरकार ने
अपने पार्टी के नेताओं को पहले से ही इस कदम के बारे में आगाह कर दिया था।
नए आदेश के अनुसार सरकार ने सभी बचत खातों के लिए पैन नंबर देना जरूरी कर
दिया है। जिन खाताधारकों ने यह सूचना अब तक बैंक को नहीं दी है, उनके लिए
सरकार ने 55 दिन का वक्त दिया है। मोदी सरकार के इस आदेश के बाद बैंकों में
कालाधन रखने वालों पर कार्रवाई संभव है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नए
आदेश में बचत खाताधारकों को पैन नंबर या फार्म-16 आगामी 28 फरवरी तक
अनिवार्य तौर पर जमा कराने को कहा है।
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दरअसल, 9 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर के बीच जिन खातों में ढाई लाख रूपये से
अधिक रकम जमा हुई है, उसका ब्योरा बैंकों और डाकघरों को आयकर विभाग को 15
जनवरी तक सौंपना होगा। इस नियम के लागू होने के बाद उन खातों के ग्राहकों
को जानो (केवाईसी) की पडताल की जाएगी।
मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में बैंकों और डाकघरों से चालू खाते के
बारे में भी रिपोर्ट मांगी गई है। इसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2016 से
लेकर 9 नवंबर के बीच ऎसे खातों की जानकारी दें, जिनमें नोटबंदी के
दौरान12.50 लाख रूपये और एक या उससे ज्यादा बचत खातों में कुल ढाई लाख
रूपये से ज्यादा रकम जमा कराई गई।
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अधिसूचना के मुताबिक पचास हजार रूपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर बैंकों,
डाकघरों, रेस्टोरेंट और होटलों को रिकार्ड रखने के साथ पैन नंबर या फार्म
16 लेना जरूरी होगा। यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी, जिसके बिना लेनदेन नहीं
किया जाएगा।
चालू खातों में आम तौर पर पैनकार्ड विस्तार और केवाईसी की प्रçRया पूरी है,
लेकिन बडी तादाद में बचत खाते हैं, जो कई साल से चल रहे हैं, लेकिन
खाताधारकों की ओर से पैनकार्ड संबंधी विस्तार से जुडा फार्म-16 नहीं भरा
गया है। 28 फरवरी के बाद सरकार ऎसे बैंक खातों के खिलाफ कडा कदम उठा सकती
है।
वित्त मंत्रालय ने बैंकों तथा डाकघरों से यह पूरी जानकारी 15 जनवरी तक तलब
की है।
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इसके अलावा चालू खाते पर भी रिपोर्ट इसी तारीख तक मांगी गई है। इसमें
को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा कराई गई राशि भी शामिल है। मंत्रालय ने यह भी
स्पष्ट किया है कि अगर एक ही व्यक्ति ने विभिन्न खातों में पैसे जमा कराए
हैं, और उसका कुल योग निर्धारित सीमा यानी बचत खातों में ढाई लाख से ज्यादा
है,तो उसकी रिपोर्ट आयकर विभाग को सौंपी जाए।
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गौरतलब है कि सरकार ने ऎसे खातों का चालू वित्त वर्ष का नोटबंदी से पहले का
रिकॉर्ड भी मांगा है। बैंकों से इन खातों के बारे में चार जानकारी मांगी
गई है। इनमें खाते में जमा कराई गई कुल राशि, निकाली गई कुल राशि और
नोटबंदी के बाद जमा कराई गई राशि का विवरण। बता दें कि सरकार ने इसके लिए
आयकर कानून, 1962 की संबंधित धाराओं में जरूरी संशोधनों के लिए शुक्रवार को
अधिसूचना जारी की थी।
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