अखिलेश के समर्थन में EC को सौंपे 205 विधायकों के हलफनामे,सपा में टूट तय!

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 07 जनवरी 2017, 9:28 PM (IST)

नई दिल्ली। यूपी चुनावपूर्व समाजवादी पार्टी में अखिलेश-मुलायम खेमे के बीच सुलह की कोशिशें नाकाम होती नजर आ रही हैं। सूत्रों की मानें तो पार्टी में टूट अब तय है और संभवतया रविवार को इसका ऎलान हो जाए। माना जा रहा है कि मुलायम खेमा और अखिलेश खेमा अलग-अलग चुनाव लडेंगे,अब सारी लडाई साइकल चुनाव चिह्न पर टिक गई है। यही वजह है कि अखिलेश खेमे से रामगोपाल यादव शनिवार शाम दिल्ली में चुनाव आयोग पहुंचे और आयोग को 1.5 लाख से ज्यादा पन्नों की शक्ल में अखिलेश के समर्थन में दस्तावेज सौंपे।

[@ जानिए कहां रहते थे अंतिम हिंदू सम्राट विक्रमादित्या, क्या है नाम..]


रामगोपाल ने चुनाव आयोग को जो दस्तावेज सौंपे हैं, उनमें 205 विधायकों के हलफनामे हैं। रामगोपाल का दावा है कि 90 प्रतिशत विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं। रामगोपाल ने कहा,प्रथम दृष्टया असली समाजवादी पार्टी अखिलेश की है और साइकल चुनाव चिह्न पर हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा, हमने कुल 5731 प्रतिनिधियों में से 4716 प्रतिनिधियों के हलफनामे सौंपे हैं। यह भारी बहुमत है, 90 फीसदी से ज्यादा लोग अखिलेश के साथ हैं। चुनाव आयोग ने हमें 9 जनवरी तक का वक्त दिया था, पर हमने सारे आज ही दस्तावेज जमा करा दिए हैं। डेढ लाख से ज्यादा पेजों के दस्तावेज सात कर्टन में भरकर यहां लाए गए हैं।

[@ साल 2016 में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च हुए टाॅप 10 टाॅपिक्स]


इसके पहले शनिवार को दिनभर सुलह का रास्ता तलाशने के लिए बैठकें होती रहीं, पर कोई नतीजा नहीं निकल पाया। माना जा रहा है कि अखिलेश किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छो़डने को राजी नहीं हैं, वह चुनाव तक सभी अधिकार अपने पास रखना चाहते हैं। मुलायम खेमे को इसी बात पर आपत्ति है।

सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यह भी चाहते हैं कि शिवपाल यादव को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाए। इसके अलावा अखिलेश ने अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकालने की मांग भी रखी है। अखिलेश चाहते हैं कि रामगोपाल यादव को फिर से पार्टी में पद और अधिकार दिए जाएं। मुलायम खेमा यह तो समझ रहा है कि पार्टी में टूट का नुकसान चुनाव में भुगतना पडेगा, पर वह पूरी तरह अखिलेश के सामने सरेंडर करने को राजी नहीं है। उधर अखिलेश भी अपने रूख पर अडे हुए हैं। ऎसे में समाजवादी पार्टी टूट की तरफ बढ चुकी है।

[@ Exclusive- राजनीति के सैलाब में बह गई देश के दो कद्दावर परिवारों की दोस्ती]