Punjab Polls-परम्परागत राजनीति से बहुत अलग इस बार के चुनाव

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 07 जनवरी 2017, 11:00 AM (IST)

नरेंद्र शर्मा।
अमृतसर।
पंजाब विधानसभा का वर्तमान चुनाव पहले हुए चुनावों से बहुत अलग हटकर हो रहा है। राज्य की सक्रिय राजनीति में आम आदमी पार्टी का प्रवेश, सिद्धू का कांग्रेस में शामिल होना ,छोटेपुर का आप से निकलना ,ऐसी घटनाएं हैं जिन्होंने राज्य की परम्परागत राजनीति को बदल कर रख दिया है। इसके अतिरिक्त श्री गुरु ग्रन्थ साहब जी की बेअदबी ,आप के मेनिफेस्टो पर विवाद, एसवाईएल की जमीन डी-नोटिफाई करना, कांग्रेसी विधायकों के त्यागपत्र और सदन में रातभर धरने पर बैठने जैसी अन्य कुछ और भी घटनाएं हैं जो कहीं न कहीं इन चुनावों को तो प्रभावित करेंगी और जिनके कारण राज्य की सियासत पूरी तरह बदल गई है। वैसे तो आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के समय ही राज्य की सियासत में धमाकेदार प्रवेश कर लिया था। परन्तु वह सब एक परीक्षण के तौर और योजना बद्ध नहीं था।

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उस समय जो परिणाम सामने आये थे, उसकी किसी को उम्मीद भी ही नहीं थी। परन्तु अब आम आदमी पार्टी योजनाबद्ध ढंग और पूरी तैयारी के साथ मैदान में आई हैं। उसके मैदान में आने से दोनों परम्परागत पार्टियों कांग्रेस और अकाली दल में हडक़म्प मच गया है। दोनों ही पार्टियों के वोट समीकरण में बहुत बड़ा उल्टफेर हो गया है। जिससे इन दोनों ही पार्टियों को बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

पूर्व के चुनावों में राज्य की कुछ एक सीटों को छोड़ कर अधिकांश पर इन दोनों पार्टियों के मध्य सीधा मुकाबला होता रहा है। परन्तु इस बार लगभग प्रत्येक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले होने की सम्भावना है। आम आदमी पार्टी ने दोनों ही परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों के वोट बैंक मैं सेंध लगाई है। जिसके कारण चुनाव परिणाम अवश्य प्रभावित होंगे। राज्य की राजनीति में दूसरा बड़ा उलटफेर सुच्चा सिंह छोटेपुर को आप के संयोजक पद से हटाने के कारण हुआ है।

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जिसके बाद आम आदमी पार्टी में बगावत हुई और पार्टी का बना-बनाया शिराजा बिखर गया। यह सब ऐसे समय पर हुआ जबकि चुनाव सिर पर थे। इसके अतिरिक्त सांसद धर्मपाल गांधी की बगावत ने भी आम आदमी पार्टी की छवि को तार-तार करके रख दिया। इसके बाद सिद्धू वाले नाटकीय घटनाक्रम ने तो रही-सही कसर भी पूरी कर दी थी। आम आदमी पार्टी के अनाड़ी नेतृत्व के इन बचकाना कदमों ने पार्टी की छवि पंजाबी विरोधी बना कर रख दी। इन घटनाओं से आम लोगों पर यह प्रभाव पड़ा की यह पार्टी पंजाबियों को सहन नहीं कर पा रही है।

जिसके कारण इस पार्टी का ग्राफ तेजी के साथ गिरता चला गया। अगर पार्टी नेतृत्व छोटेपूर को संयोजक पद से न हटाता और सिद्धू को साथ जोड़ लेता तो उसके सत्ता में आने की पूर्ण सम्भावनाएं थी। आम आदमी पार्टी के नेतृत्व की इन दो गलतियों ने राज्य की सियासत को बदल कर रख दिया। अब सिद्धू का कांग्रेस में आना लगभग निश्चित है। क्योंकि उनकी पत्नी नवजोत कौर कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं। यह ठीक है की सिद्धू कोई बहुत बड़े नेता नहीं हैं परन्तु उनकी ईमानदार छवि किसी भी बड़े नेता को मात देने में सक्षम है।

उनके आने से कांग्रेस मजबूत हुई है। क्योंकि इस समय उसके पास दो ऐसे फायर ब्रांड नेता और ईमानदार छवि (सिदू और कैप्टन ) वाले नेता है जिन्हें पंजाब की जनता आजमा चुकी और दिल से स्वीकार करती है। वैसे भी कांग्रेस ने एसवाईएल पर जो स्टैंड लिया है वह भी अकालियों और आम आदमी पार्टी से कमतर नहीं है। जबकि आप के पास कोई चेहरा नहीं है जिसे पंजाबियों ने आजमाया हो।

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