कई बार हमें किसी स्थान पर गडे हुये धन के होने का अंदशा होता है। बिना
किसी ठोस आधार एवं दिव्य आज्ञा के उस स्थान को खोदने की गलती कभी नहीं करनी
चाहिये। ऎसे किसी भी संदेह की स्थिति में नित्य संध्याकाल के समय जहां धन
का अंदेशा हो वहां एक शुद्ध घी का दीपक जिसमें एक लौंग भी हो, लगाना
चाहिये।
ऎसा करने से 40 दिनों के भीतर यदि वहां धन होता है तो दीपक
लगाने वाले को स्वप्न के माध्यम से उसकी जानकारी हो जाती है, स्वप्न में
ही उसे खोदना है अथवा नहीं, यह भी निर्देश मिलता है। इसी प्रकार जहां धन का
अंदेशा हो वहां एक छोटा सा स्थान स्वच्छ कर उस पर एक लकडी का पाटा रख दें।
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उस पर एक नागरबेल का पान अथवा पीपल का पत्ता रखकर उस पत्ते पर एक पूजा की सुपारी रखकर उस पर हल्दी, कुंकुम, अक्षत आदि अर्पित कर उसके समक्ष घी का दीपक लगायें जो कि 5-7 मिनट के लिये जलता रहे। नित्य ऎसा करें। पत्ते और सुपारी को विसर्जन हेतु शुद्ध एवं स्वच्छ स्थान पर रख लें। इस प्रयोग को 40 दिनों तक इस प्रार्थना के साथ करें।
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लोहे अथवा लकडी की एक ऎसी खूँटी बनवायें जो छ: भागों में विभाजित हो। इस खूँटी का पहले भली प्रकार से पूजन करें एवं पशु रक्षा की कामना करते हुये इसे पशुशाला में किसी भी एक कोने में गाड दें। इसके ठीक ऊपर छत पर एक बांसुरी किसी धागे या डोरी से लटका दें। ऎसा करने से पशुओं का आकरण मरना बंद हो जाता है।
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एक अन्य उपाय के अन्तर्गत जहां भी पशु बांधे जाते हैं वहां नित्य घी तथा गूगल की धूनी गाय के गोबर के कण्डे को जलाकर उस पर देनी चाहिये। इसी प्रकार संबंधित स्थान पर बांसुरी वादन करते हुये भगवान श्रीकृष्ण का ऎसा फोटो भी लगा देना चाहिये जिसमें एक या अधिक गायें श्रीकृष्ण के साथ हों।