नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद आतंकियों और नक्सलियों की आर्थिक स्थिति बर्बाद
हो गई है। इससे बौखलाए नक्सली अब कालेधन को सफेद करने की मुहिम तेज कर दी
है। नक्सली अब विभिन्न संगठनों को नोटबंदी के खिलाफ संगठित कर रहे हैं।
नक्सलियों ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को ठिकाने लगाने की भी योजना बना
ली है। रणनीति के तहत नक्सली नेता ठेकेदारों और पंचायत के प्रतिनिधियों के
बंदूक दिखाकर उनके रिश्तेदारों-करीबियों को ढाल बना रहे हैं।
नोटों
की अदला-बदली कर आर्थिक रूप से मजबूत हो चुकी नक्सलियों की ग्राउंड टीम
आकाओं के निर्देश के इंतजार में है। बिहार, झारखंड और यूपी के कुछ इलाकों
में गतिविधियों की जानकारी होते ही इंटेलिजेंस की सेंट्रल टीम ने सोमवार को
सभी प्रदेशों के पुलिस मुख्यालयों को अलर्ट कर दिया है।
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नोटबंदी के बाद झारखंड और बिहार में सीनियर नक्सली नेताओं को रंगदारी की रकम को नई करंसी में बदलने की जिम्मेदारी संगठन की ओर से सौंपी गई है। नक्सली नेता इसके लिए अपने रिश्तेदारों और करीबियों के अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा गया और औरंगाबाद में बंदूक के दम पर ठेकेदारों के माध्यम से भी नोटों को बदला गया है। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में जन मिलिसिया कमांडर ने भैरमगढ़ और बीजापुर के लोगों के खाता में पुराने पैसे जमा कराए है।
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नक्सल संगठनों में हाल ही में भर्ती हुए नए लड़ाकों को भी नोटबंदी से निपटने के लिए मोहरा बनाया गया है। इनके खातों में रकम जमा करवा दी गई है। खाते मजबूत करने के बाद यह लोग आकाओं के निर्देश के इंतजार में हैं। खुफिया सूत्रों ने आगाह किया है कि नए लड़ाके अपने आका का निर्देश मिलते ही खलबली मचाकर नोटबंदी के प्रति नाराजगी जता सकते हैं। इसके अलावा नक्सली नेताओं ने रंगदारी की काफी रकम ग्रामीणों में बांट कर उनके अकाउंट में जमा करवा दी हैं। यही नहीं बिहार और झारखंड के कुछ नेताओं ने इस पैसे को सफेद कर अपने करीबियों व रिश्तेदारों को विभिन्न माध्यमों से पहुंचाई है।
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