नरेंद्र शर्मा।
अमृतसर। पंजाब विधान सभा चुनाव -2017 कई मायनों में पिछले चुनावों से अलग है। इसकी सबसे बड़ी विलक्षणता यह है की इस बार बड़े से बड़े दिग्गज नेता को भी अपनी सफलता पर विश्वास नहीं है। यहां तक की राज्य की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल ,सुखबीर बादल,और कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेताओं में भी जीत -हार को लेकर संशय बना हुआ है। यही कारण है की इन नेताओं ने अभी तक अपने-अपने चुनावी रण क्षेत्रों की घोषणा नहीं की है।
यह अलग बात है की वह अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए बढ़-चढ़ कर अपनी जीत के दावे कर रहे है और एक दूसरे को मुकाबले के लिए चुनौतियां दे रहे हैं। अभी तक हुए चुनावों में देखा जाता रहा है की प्रत्येक पार्टी के दिग्गज नेताओं के अपने-अपने चुनाव क्षेत्र तय रहते हैं। सभी को वर्षों पहले पता होता है की अमुक दिग्गज नेता का गृह क्षेत्र कौन सा है। परंतु इस बार पार्टियां और उनके दिग्गज नेता इस बात को छुपा रहे हैं।
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अब जबकि चुनाव को कुछ ही समय बाकि है परन्तु अभी तक किसी को यह खबर नहीं
है की मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ,उनके बेटे और उपमुख्यमंत्री सुखबीर
बादल तथा कांग्रेस अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी के दिग्गज कहां से चुनाव लड़
रहे हैं। यहां तक कांग्रेस के प्रदेशाध्य्क्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह का
सम्बन्ध है उनकी मज़बूरी तो समझ आती है। क्योंकि वह अपनी मर्जी से किसी
क्षेत्र को नहीं चुन सकते है।
उनके लिए चुनाव क्षेत्र का निर्धारण
कांग्रेस हाईकमान को करना है। शायद यही कारण है की वह अभी से अपने चुनाव
क्षेत्र के बारे में कोई घोषणा नहीं कर रहे हैं। वैसे सभी जानते हैं की
कैप्टन का गृह क्षेत्र पटियाला है। वह वहीं से विधान सभा चुनाव लड़ते आए
हैं। यदि इस बार भी हाईकमान ने उन्हें पटियाला से लडऩे का आदेश दिया तो वह
वही से मैदान में उतरेंगे। आम आदमी पार्टी के दिग्गज और दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं की वह पंजाब चुनाव लडऩे
के मूड में नहीं हैं। अत: उनकी यहां बात करने का कोई औचित्य नहीं है।
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परंतु आश्चर्य की बात है की मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल
ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है की वह कहां से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
जबकि इस बात का निर्णय उन्होंने खुद ही लेना है। उनपर कोई हाईकमान नहीं है।
बेशक इन दोनों दिग्गजों के भी गृहक्षेत्र हैं। परन्तु वह यह सुनिश्चित
करने के लिए तैयार नही हैं की इस बार भी वह अपने गृह क्षेत्र से ही चुनाव
मैदान में उतरेंगे। जिसके कारण राजनीतिक क्षेत्रों में कई प्रकार की
चर्चाएं गर्म हैं। राजनीतिक गलियारों में यह आम चर्चा है की अकाली सांसद
घुबाया की बगावत के कारण बड़े और छोटे (मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री)
बादल भयभीत हैं। क्योंकि घुबाया का सम्बन्ध राय सिख बरादरी के साथ है। इस
क्षेत्र में राय सिखों का बहुमत है। बड़े बादल के कहने पर घुबाया कांग्रेस
में शामिल होने से तो रुक गए हैं परन्तु उन्होंने यह घोषणा कर दी है की बह
अकाली दल का चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। इसके साथ ही उनका लडक़ा कांग्रेस
में शामिल हो गया है।
क्योंकि सुखबीर और बादल जानते हैं की राय सिखों के
समर्थन के बिना उनका जीतना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है। इसलिए वह शायद
अपना चुनाव क्षेत्र बदलने के मूड में हैं। दूसरा सुखबीर आम आदमी पार्टी के
मैदान मैं आने से भी कुछ भयभीत हैं। इन सभी बातों को देखते हुए यह कयास
लगाए जा रहे हैं की सुखबीर इस बार किसी और क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। बड़े
बादल के भी क्षेत्र बदलने की चर्चाएं हैं। अब देखना यह है की हैट्रिक का
दावा करने वाले सुखबीर अपनी प्रतिष्ठा कैसे बचाते हैं।
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