शक्ति प्रधान जीव बहुत चंचल, चुलबुले, तत्काल
बिगड उठने वाले और असहनशील होते हैं जबकि चान्द्र शक्ति प्रधान व्यक्ति
इससे सर्वथा विपरीत होते है। चान्द्र शक्ति प्रधान जीवों में प्रमुख गर्दभ
(गधा) ही माता शीतला का वाहन हो सकता है।
यहां गधा संकेत देता है
कि चामुण्डा के आक्रमण के समय रोग का अधिक प्रहार सहन करते हुए रोगी को कभी
अधीर नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त शीतला रोग में गर्दभी का दूध, गधा
लोटने के स्थान की मिट्टी और गधों के संपर्क का वातावरण उपयुक्त समझा जाता
है।
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कहते है कि ऊंट वाले को कभी पेट का रोग नहीं होता और कुम्हार को चामुण्डा का भय नहीं होता।
चामुण्डा शववाहना के अनुसार चामुण्डा का वाहन शव होता है।
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इसका तात्पर्य यह है कि चामुण्डा से आक्रान्त रोगी को शव की भांति निश्चेष्ट होकर उचित समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।