कोहिनूर की जब बात आती है तो सबके कान खड़े हो जाते है, हो सकता है आपकी नज़र में वे एक नायाब हीरा होगा लेकिन इस नायाब हीरे के पीछे का रहस्य उतना ही कड़वा व विष के समान है। कोहिनूर जिसके नाम में भले ही अमीरी का आगाज़ होता हो वे कभी राजा महाराजा के मृत्यु व उनके परिवार के विध्वंस का कारण बन गया था।
इतिहास गवाह है की यह हीरा सबसे पहले 1294 में आया था, इसे आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा के खदान में पाया गया था, इसके साथ ही दो हीरे और पाए गए थे जिनके नाम दरयाई नूर और नूर-उन-ऐन रखे गए थे। पाए गए हीरों में से सबसे ज्यादा नाम कोहिनूर का जाना गया, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे इस हीरे की गिनती एक अभिशाप हीरे में होने लगी।
यह वाकई में चौकाने वाली बात है की कोहिनूर का हीरा एक अभिशाप व बर्बादी का चिन्ह माना जाता था। यह सबसे पहले ग्वालियर के किसी राजा के पास पाया गया हालाँकि राजा का नाम अभी सामने नहीं आया पाया है। 1306 में एक व्यक्ति ने कोहिनूर की भविष्यवाणी कर दी थी, जो इसे धारण करेगा वे राज करेगा लेकिन उसके साथ साथ उसका बुरा वक़्त भी आरम्भ हो जाएगा।
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शुरुआत में इस चर्चित भविष्यवाणी को नहीं माना गया लेकिन घटनाओं की उड़ती
उड़ती ख़बरों ने इस भविष्यवाणी को चर्चित बना दिया। 1594 में शाह जहाँ ने
कोहिनूर को अपने ताज मयूर सिंहासन में गढ़वा दिया जिसका खामयाजा उनकी बेगम
मुमताज़ को भुगतना पड़ा, उनकी मृत्युं हो गई जिसके ठीक बाद उनके बेटे औरंगज़ेब
ने उन्हें नज़रबंद कर सारी सत्ता अपने हाथ में ले ली।
1739 में जब
नादिर शाह का युद्ध मुगलो से हुआ तो उसमे मुग़ल राज पराजित हो गया और नादिर
शाह कोहिनूर को पर्शिया ले गए। कोहिनूर नाम किसी और ने नहीं बल्कि नादिर
शाह ने ही दिया था, नाम मिलने से पहले इसे कई नामों से जाना जाता था।
कोहिनूर ने धीरे धीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया 1747 में नादिर शाह की
मौत हो गई।
नादिर शाह की मौत के उपरांत यह हीरा अफ़गानिस्तान के
शांहशाह अहमद शाह दुर्रानी के पास गया और उनके बाद उनके वंशज शाह शुजा
दुर्रानी के पास, लेकिन कोहिनूर के प्रभाव से उसका साम्राज्य भी खत्म हो
गया और जान बचा कर शाह शुजा दुर्रानी ने हीरा रंजीत सिंह को दे दिया।
अंग्रेजो
का भारत पर कब्ज़ा करने के बाद यह हीरा अंग्रेजो ने 1858 में हथिया लिया
और कोहिनूर पर से सिख साम्राज्य का अधिकार खत्म हो गया। 1947 में भारत को
मिली स्वतंत्रता के बाद यह हीरा इंग्लैंड की रानी एलिज़ा बेथ के पास पहुँच
गया, महारानी ने वसीयत बनाई की इसे सिर्फ एक महिला ही पहन सकती है लेकिन
कोहिनूर के हीरे के प्रभाव से अंग्रेजों का साम्राज्य भी खत्म हो गया।
फिर
इस कोहिनूर के प्रभाव से बचने के लिए इंग्लैंड वासियों ने इसे इतिहास का
हिस्सा बनाकर लंदन के म्यूजियम में पर्यटकों के लिए सजा दिया जिसे आज हर
व्यक्ति जाकर देखना पसंद करता है।