स्वयं जागरूक हों और समाज को करें सावधान

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 30 नवम्बर 2016, 10:08 PM (IST)

अजमेर। एचआईवी के संक्रमण से होने वाले एड्स रोग के प्रति जागरूकता आवश्यक है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को स्वयं जागरूक होने के साथ ही समाज को भी इस बारे में सावधान करना चाहिए। एड्स का उपचार करने से बेहतर है कि इससे बचा जाए। ये विचार विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लाल थदानी ने रखे।

उन्होंने बताया कि एड्स (इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम या एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो वायरस) की वजह से होता है, जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। इस रोग को पहली बार 1981 में मान्यता मिली। ये एड्स के नाम से पहली बार 27 जुलाई 1982 को जाना गया। एचआईवी संक्रमण आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में प्रेषित हो जाता है। यदि उन्होंने शारीरिक द्रव या रक्त श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से कभी सीधे संपर्क किया है। अनुमान के मुताबिक लगभग 33 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं और 2 लाख लोगों का हर साल इसकी वजह से निधन हो जाता है।

उन्होंने बताया कि एचआईवी एक वायरस है यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं पर हमला करता है। इसके कारण जो रोग होता है वह एड्स के रूप में जाना जाता है। असल में इसका कोई भी इलाज नहीं है लेकिन हो सकता है कि कुछ उपचारों के माध्यम से कम किया जा सके।

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