हाईकोर्ट ने क्यों लगाया 1 रुपये का हर्जाना, पढ़िए पूरी ख़बर

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 30 नवम्बर 2016, 11:55 AM (IST)

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में मात्र 1 रुपये का हर्जाना दण्ड दिया है । यह हर्जाना इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध चौधरी महादेव प्रसाद (सीएमपी) डिग्री कॉलेज पर लगा है । साथ ही हाईकोर्ट ने याची की फरियाद के अनुसार कालेज में प्रवेश देने का आदेश दिया है । सीएमपी डिग्री कॉलेज में बी.कॉम तृतीय वर्ष की छात्रा को बैक पेपर देने के दौरान मूल अंकपत्र वापस नहीं मिल सका था। जिसके चलते काउंसिलिंग के समय अंकपत्र नहीं दिखा सकी। कालेज प्रशासन ने इस बावत छात्रा को एम.काम में प्रवेश देने से इंकार कर दिया था।
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छात्रा ने न्यायालय को बताया कि बैंक पेपर देने के लिए जारी मूल अंक पत्र कॉलेज में ही जमा कर दिया था। जिससे वह काउंसिलिंग के समय नहीं दिखा सकी । लेकिन कालेज में एमकाॅम में प्रवेश पाने की न्यूनतम अर्हता से अधिक अंक प्राप्त किया है । बावजूद इसके कॉलेज ने तकनीकी कारणों से प्रवेश देने से इंकार कर दिया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कालेज के रवैये को छात्र को नैतिक नुकसान पहुंचाने वाला करार दिया। न्यायालय ने कहा कि कालेज का छात्रा को प्रवेश देने से इंकार करना औचित्य पूर्ण नहीं है। कोर्ट ने सीएमपी कालेज को आदेश दिया कि वह तत्काल छात्रा को एम.काम में प्रवेश देने का निर्देश दिया है। यदि सीट खाली न हो तो प्रवेश पाये अन्तिम छात्र का प्रवेश निरस्त कर याची को प्रवेश दिया जाए।
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अर्पणा श्रीवास्तव ने 2015-16 सत्र में सीएमपी डिग्री कालेज से बी.काम तृतीय वर्ष उत्तीर्ण किया और एम.काम प्रथम वर्ष में प्रवेश परीक्षा दी। कट आफ मार्क से अधिक अंक भी अर्पणा को मिले। अर्पणा ने बी.काम में अंक बढ़ाने के लिए दो विषय की बैक परीक्षा दी। बैक परीक्षा के दौरान प्रबंधन ने मूल प्रमाणपत्र जमा कर लिए गए। अर्पणा ने एम.काम में प्रवेश के लिए जारी कटऑफ के बाद पर्याप्त नंबर होने पर प्रवेश लेना चाहा । जब वह काउंसिलिंग में गयी तो मूल अंक पत्र न होने के कारण प्रबंधन ने प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया। जबकि अर्पणा प्रवेश पाने के लिए योग्य थी।
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कॉलेज ने नियमों का हवाला दिया जबकि विश्वविद्यालय ने ऐसे छात्रों को प्रोविजिनल प्रवेश की अनुमति दी है फिर भी कालेज ने प्रवेश देने से इंकार कर दिया। मामले में अर्पणा ने न्यायालय की शरण ली। कोर्ट ने याचिका स्वीकार की और सुनवाई पूरी करते हुए फैसला दिया । जिसमें कालेज पर एक रूपये का हर्जाना व अर्पणा को तत्काल एडमीशन देने को कहा गया । यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने दिया है ।
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