शिमला । राज्यपाल आचार्य
देवव्रत ने कहा कि मौजूदा दौर में बढ़ रही नई-नई बीमारियों तथा आधुनिक दवाईयों के अंतराल
के दृष्टिगत प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को उपचार की मुख्यधारा के रूप में अपनाने
की आवश्यकता है। राज्यपाल सोमवार को आयुर्वेद
विभाग द्वारा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय तथा सीआईआई के संयुक्त तत्वावधान में शिमला
में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय आरोग्य मेले के समापन समारोह पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद
ने जन्मजात कारकों की पहचान की है तथा जीवन से मृत्यु तक आयुर्वेद की अहम भूमिका है।
यह जीवन विज्ञान है और बीमारी के प्रबन्धन में दवाओं की भूमिका सीमित अथवा बहुत कम
है, क्योंकि आयुर्वेद खान-पान व नित्य जीवन में शारीरिक गतिविधियों को महत्व देता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में औषधीय पौधों का अपार भण्डार है, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक
औषधियां बनाने में किया जा रहा है।
राज्यपाल ने आयुर्वेद पर
और अधिक अनुसंधान करने पर बल देते हुए कहा कि राज्य में और अधिक प्रयोगशालाएं स्थापित
की जानी चाहिए। उन्होंने विशेषकर युवाओं को जंक फूड से परहेज करने तथा स्वस्थ जीवनयापन
करने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए पारम्परिक आयुर्वेद
प्रणाली को अपनाना चाहिए।
उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सकों
को रोगियों का उपचार केवल इस पारम्परिक पद्धति से ही करने का आग्रह किया और आयुर्वेद
पर और अधिक अनुसंधान करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक कालेज पपरोला में
आयुर्वेद के अनुसंधान के लिए एक अलग से विभाग होना चाहिए और विभाग को इस दिशा में पहल
करनी चाहिए। उन्होंने इस मेले के आयोजन के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की तथा
भविष्य में भी इस तरह के और मेलों के आयोजन का आग्रह किया।इससे पूर्व राज्यपाल ने
उत्सव के दौरान लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसमें गहरी रूचि दिखाई।राज्यपाल ने आयुर्वेद विभाग
द्वारा आयोजित चित्रांकन एवं निबन्ध लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी
प्रदान किए।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में एलोपैथी के
अतिरिक्त आयुर्वेदिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए गत चार वर्षों के दौरान ठोस प्रयास
किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक विभाग में विभिन्न पदों को भरा गया है और आयुर्वेदिक
चिकित्सकों के पदों को भरने को स्वीकृति प्रदान की गई है जिसकी प्रक्रिया प्रगति पर
है। उन्होंने कहा कि यह आज की जरूरत है कि उपचार की भारतीय पद्धति आयुर्वेदिक चिकित्सा
प्रणाली ही केवल विभिन्न बीमारियों के इलाज का स्थायी साधन है।
बजौरा में 50 बिस्तरों वाला आयुर्वेदिक अस्पताल हाेगा विकसित :आयुर्वेद एवं सहकारिता
मंत्री कर्ण सिंह ने राज्यपाल तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा कहा
कि प्रदेश सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए वचनबद्ध है और आयुर्वेद से संबंधित
विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक
संख्या में लोग इससे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि कुल्लू के बजौरा में 50 बिस्तरों
वाले आयुर्वेदिक अस्पताल को विकसित किया जाएगा और क्षेत्र में जैविक बाग भी विकसित
किया जा रहा है, जो अगले वर्ष अप्रैल तक क्षेत्र के लोगों की सेवा में शुरू कर दिया
जाएगा।आयुर्वेदिक विभाग की प्रधान
सचिव निशा सिंह ने आरोग्य मेले के दौरान विभिन्न गतिविधियों के दौरान विभिन्न गतिविधियों
बारे में जानकारी दी।
बेटी की शादी में पहुंचे आमिर खान, परिवार ने नहीं लिया जोडा, तस्वीरें