कानपुर।
जनपद में भारत बंदी का असर फीका रहा। बाजारों में रोजना की तरह रौनक दिखी और
दुकानदार प्रधानमंत्री का समर्थन करते दिखे। वहीं दुकानें बंद कराने पहुंच रहे
विपक्षी दलों को दुकानदारों से मुहं की खानी पड़ रही है। सोमवार को 500 व एक हजार के नोट बंदी के विरोध
में विपक्षी दलों द्वारा भारत बंद का एलान किया गया था।
विपक्षी दलों के
बंदी समर्थन का जिले में कोई खास असर नहीं देखा गया। सुबह बाजारों में नियमित समय
से दुकानें खुली और कामकाज होता रहा। शहर की हार्ड ऑफ दि इलाकों में कहा जाने वाला
बिरहाना रोड, नयागंज, जनरलगंज के अलावा लाल बंगला, गुमटी, पीरोड, रावतपुर, कल्याणपुर, आईआईटी मार्केट, किदवई नगर, बर्रा, जरौली, गोविन्द नगर में शादी की सहालग
के चलते लोगों को खरीददारी करते देखा गया।
हालांकि की बाजार खुले होने की जानकारी
पर बंदी का समर्थन कराने पहुंचे कुछ वाम दलों के कार्यकर्ताओं को बाजार एसोसिएशन
का विरोध के साथ उन्हें बैकफुट पर आना पड़ रहा है।
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कई जगहों पर तो दुकान बंदी
कराने को लेकर नोकझोक तक की सूचनाएं पुलिस को मिली। जिसके बाद कार्यवाही के डर से
बंदी समर्थक भाग खड़े हुए। किराना कारोबारी विनोद गुप्ता ने बताया कि दुकानें पूरी
तरह से खुली है। हमें राजनीति के बजाए परिवार पालना है। अखिल भारतीय उद्योग मंडल
के महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने बताया के बंदी का कानपुर कारोबारी विरोध करते है।
हम अपनी बात का विरोध दुकानें बंद कर नहीं, बल्कि अन्य दूसरे तरीकों से देंगे।
राजनीतिक पार्टियों ने बंदी का कोई भी फरमान नहीं दिया था। हालांकि की भूसा टोली
बर्तन बाजार में कुछ दुकानें बंद कर रखी है। एसएसपी आकाश कुलहरि ने बंदी को लेकर
बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति जबरन दुकानें बंद कराता है और पीड़ित द्वारा शिकायत की
जाती है तो ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसी तरह कानपुर
देहात में भी बाजार पूरी तरह से खुले हैं। अकबरपुर, रसूलाबाद, रूरा, शिवली, गजनेर कस्बों में दुकानें खुली
है।
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कांग्रेस पार्टी मना रही जन आक्रोश दिवस
कांग्रेस
पार्टी द्वारा कानपुर में भारत बंदी को जन आक्रोश दिवस के रूप में मनाया जा रहा
है। इसको लेकर कांग्रेसियों द्वारा एक घंटाघर स्थित नहेरू प्रतिमा स्थल पर दिल्ली
की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जनता को सम्बोधित करेगी और पदयात्रा निकालेंगी।
इसको लेकर जिलाध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री ने पार्टी नेताओं के साथ हजारों की
संख्या में घंटाघर चौराहे पर मौजूद है।
बन्दी का असर हुआ बेअसर, खुले अस्पताल व मेडिकल स्टोर
नोटबंदी
के विरोध में विपक्ष ने सोमवार को भारत बंद होने के आहवान से किराना बाजार ने तो
पहले ही किनारा कर लिया है तो शहर के मेडिकल स्टोर संचालको ने भी रोज की तरह अपनी
दुकान खोली। वहीं सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल में डाक्टरों ने मरीजों को देखा।
केन्द्र सरकार के नोटबंदी के बाद विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध
जताते हुए भारत बन्द करने का अहवान लोगों से किया। लेकिन भारत बन्द होने का असर
कही नहीं देखा जा रहा है। शहर के किराना स्टोर, कपड़ा बाजार, चौक समेत अन्य दूकाने रोजाना की
तरह सोमवार को भी अपने समय पर दुकानदारों ने खोली। वहीं हैलट, उर्सला, केपीएम, कांशीराम समेत शहर के सभी
अस्पताल व उनके आसपास बने मेडिकल स्टोर खुले रहे। डाक्टरों ने पूरे दिन ओपीडी खोली
और मरीजों का इलाज किया।
नोटबंदी की राय देने वाले की पूरी राय नहीं मानी...
अस्पताल के बाहर बने
मेडिकल स्टोर भी खुले रहे। अखबार में नाम न छपने की शर्त पर बताया कि काला धन उनका
डूबा है, धंधा हम
अपना क्यों बर्बाद करें। हम तो प्रधानमंत्री के समर्थन में दो घंटे अतिरिक्त
मेडिकल की दूकान खोलेंगे, वैसे भी
हमारा व्यापार ऐसा है कि जो लोगों के जीवन से सम्बन्धित है इसलिए हमारा बन्दी से
भी कोई वास्ता नहीं रहता है। प्रतिष्ठित नर्सिंगहोम के वरिष्ठ फीजिशियन ने बताया
कि हमारे एसोसिएशन की ओर से कोई बन्दी की जानकारी नहीं दी गई थी। इसलिए डाक्टरों
ने अपनी ड्यूटी की। मेडिकल स्टोर तो बिरहाना रोड स्थित दवाई मार्केट भी अपने ही
समय पर खुल गई।
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