सस्ते कर्ज का रास्ता बंद,RBI ने ताजा जमा पर लगाया100%CRR

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 28 नवम्बर 2016, 4:03 PM (IST)

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद अब रिजर्व बैंक ने सस्ते कर्ज की आस लगाए लोगों और इंडस्ट्री को तगड़ा झटका दिया है। बैंकिंग रेगुलेटर ने 100 फीसदी का अतिरिक्त सीआरआर लगाया है, जो 16 सितंबर के बाद जमा पर लागू होगा। इस फैसले से सिस्टम से 3.24 लाख करोड़ रुपये बाहर होंगे। हालांकि यह फैसला मोटे तौर पर नोटबंदी के बाद से जमा पर ही लागू होगा। आरबीआई ने यह कदम नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में आ रही अतिरिक्त नकद जमा को संभालने की दृष्टि से उठाया है। इसके तहत बढ़ी हुई जमा (इंक्रीमेंटल) पर आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) की दर से 100 फीसदी कर दी गई है। यह व्यवस्ता 26 नवंबर से शुरू होकर एक पखवाड़े तक लागू रहेगी।
रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के मुताबिक, शुदध मांग और समयबद्ध देनदारियां (एनडीटीएल) के 16 सितंबर से 11 नवंबर के दौरान बढऩे के मद्देनजर अनुसूचित बैंकों को अपनी बढ़ी हुई सीआरआर को 100 प्रतिशत पर रखना होगा। बैंक इन पैसों से बॉन्ड नहीं खरीद सकेंगे और कर्ज भी नहीं दे सकेंगे। दरअसल बॉन्ड मार्केट में गिरावट को रोकने के लिए सीआरआर बढ़ा है। वैसे रिजर्व बैंक ने कहा कि वह इंक्रीमेंटल सीआरआर की 9 दिसंबर या उससे पहले समीक्षा करेगा। नियमित सीआरआर दर चार प्रतिशत पर काया है।

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आरबीआई के इस कदम से बैंकों को नुकसान होगा और सीआरआर पर ब्याज नहीं मिलेगा। आरबीआई ने बॉन्ड मार्केट में गिरावट को रोकने के लिए ये फैसला लिया है, क्योंकि नोटबंदी के बाद बॉन्ड मार्केट में यील्ड लगातार बढ़ रही थी। यहीं नहीं बैंकों को सीआरआर पर ब्याज नहीं मिलेगा, मगर डिपॉजिट पर ब्याज देना होगा। सीआरआर पर ब्याज नहीं मिलने और डिपॉजिट पर ब्याज देने से बैंकों को नुकसान होगा। आरबीआई के इस कदम से बॉन्ड मार्केट में कुछ अवधि के लिए गिरावट आएगी। 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 0.3 फीसदी बढऩे का अंदेशा है। बैंकों के पास रखे बॉन्ड की कीमत घटेगी, ऐेसे में बैंक शेयरों में भारी गिरावट की आशंका है। डेट फंड की एनएवी भी घटेगी।
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नकद आरक्षी अनुपात यानी कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) यानी बैंकों में जमा का वह हिस्सा जो वे केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं। इस पर बैंकों को केंद्रीय बैंक से कोई ब्याज नहीं मिलता। ये सभी बैंकों के लिए जरूरी होता है कि वह अपने कुल कैश रिवर्ज का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखें। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएं, तो बैंक डिफॉल्ट न कर सकें। आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बिना बाजार से लिक्विडिटी कम करना चाहता है, तो वह सीआरआर बढ़ा देता है।
आरबीआई का यह फैसला जमाकर्ता व कर्जदारों पर ऐसे डालेगा असर-
- इससे बैंकों के लाभ में कमी आएगी, क्योंकि उन्हें लोगों को उनकी जमा पर भी ब्याज देना होगा और फिक्स्ड डिपोजिट पर भी। इस तिमाही के अंत तक आरबीआई इस फैसले को लागू ही रखती है, तो बैंकिंग सेक्टर का पूरे साल का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन 5 बेसिस पॉइंट नेगेटिव जोन में रहेगा।
- अब आम लोगों की दृष्ेिट से आरबीआई का यह कदम सीधे तौर पर बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर असर डालेगा, ग्लोबल फाइनेंशल सर्विसेस ड्यूक बैंक के मुताबिक, एफडी पर मिलने वाले ब्याज दर में और कटौती हो सकती है, हालांकि ड्यूक बैंक के मुताबिक, बैंकों के लोन पर ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश नहीं दिखती है।
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- बाजार में अटकलें थीं कि 7 दिसंबर को शीर्ष बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए 25 से 50 बेसिस पॉइंट कटौती का ऐलान कर सकता है, जिससे ब्याज दरों में कटौती होगी और बैंक लेंडिंट रेट कम करेंगे। इससे लोन पर ईएमआई घटेगी, लेकिन अब लगता है कि ईएमआई के कम होने की संभावना कम हो गई है और यह सीधे तौर पर लोन लेने जा रहे या लोन ले चुके ग्राहक के लिए अच्छी खबर नहीं है।
- ब्याज दरों में गिरावट का वित्तीय व्यवस्था पर पहले ही नकारात्मक असर देखा जा रहा है और रुपये में इस महीने जबदरदस्त कमजोरी देखी गई है। ब्याज दर अधिक होने से विदेशी निवेशक भारतीय डेट मार्केट में अधिक निवेश करते हैं।
- विशेषज्ञों की राय में डेट मार्केट में देखी जा रही रैली भी थमेगी। बैंकों ने जमा में से कुछ पैसा सरकारी बॉण्ड्स में लगाया था। इसका असर यह पड़ा था कि दस साल पुरानी बॉण्ड यील्ड में तेजी से गिरावट आई और यह 50 बेसिस पॉइंट से अधिक नीचे आ गया।

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