भारतीय रसोई में जब चटपटा
खाने की बात हो, या सलाद को जायकेदार बनाने की बात आए, तो काली मिर्च सबसे
ऊपर रहती है। इसकी विशेष सुगन्ध रसोई को भी महकाती है और डाइनिंग टेबल को
भी। यह देसी मसाला बहुत बडी औषधि का भी काम करता है। इसके प्रयोग
से सांस की बीमारी, बुखार, खांसी, पेट के रोग और यदि पेट में कांच आदि का
टुकडा चला जाए तो उसको निकालने में भी काफी मदद करते हैं।
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पिसी हुई कालीमिर्च घी और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चटनी बनाएं। यह
चटनी सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेने से फेफडे और सांस से संबंधित बीमारी में
आराम मिलता है।
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छाछ या मट्ठे में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट की बीमारियां दूर होती हैं और कीटाणु भी नष्ट होते हैं।
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काली मिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर लेने से जुकाम में फायदा होता है।
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मलेरिया होने पर काली मिर्च के चूर्ण को तुलसी के रस में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
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कब्ज होने पर काली मिर्च के चार-पांच साबुत दाने दूध के साथ रात को लेने से कब्ज में लाभ मिलता है।
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