नारियल का उपयोग अक्सर पूजा के दौरान किया जाता है और इसका पूजा में अपना महत्वपूर्ण स्थान भी है। हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा हो उसमें नारियल होना अनिवार्य है। आपने अक्सर मंदिरों में देखा होगा कि नारियल को या तो पंडित जी या फिर कोई पुरुष ही फोड़ता है। महिलाओं को नारियल फोड़ने का अधिकार हिंदू धर्म में नहीं दिया गया है।
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क्या आपके मन में उठते हैं सवाल
क्या आपके मन में कभी ऐसा प्रश्न
उठा है कि जब हम महिलाओं को लक्ष्मी का दर्जा देते हैं, तो उनका नारियल
फोड़ने से अधिकार क्यों छीन लेते हैं?
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क्या है कारण
नारियल के
पीछे भी एक कथा छुपी हुई है। वह यह है कि ब्रम्हा ऋषि विश्वामित्र ने विश्व
का निर्माण करने से पहले नारियल का निर्माण किया था। यह मानव का प्रतिरूप
माना गया था। नारियल को बीज रूप माना गया है, जो प्रजनन क्षमता से जुड़ा
है।
स्त्रियां बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती है और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है।
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किसी ग्रंथ में नहीं लिखा
देवी-देवताओं
को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। वैसे इस बात की पुष्टि
ना तो किसी ग्रंथ में लिखी है ना ही देवी-देवताओं ने इससे जुड़े निर्देश
कभी दिए हैं। यह सब सामाजिक मान्यताओं और विश्वास के चलते बरसों से हमारे
रीति-रिवाज का हिस्सा बना हुआ है।
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