सरकारी उदासीनता का भेंट चढ़ता रामगढ़ गैस तापीय बिजलीघर

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 19 अक्टूबर 2016, 1:08 PM (IST)

जैसलमेर। राजस्थान में पिछले दो वर्षों से लगातार अधिक उत्पादकता का अवार्ड प्राप्त करने वाला रामगढ़ स्थित गैस तापीय विद्युत गृह सरकार की उदासीनता के चलते बन्द होने के कगार पर पहुंच चुका है। समय रहते इस गैस संयन्त्र की सुध नहीं ली गई तो इसके बन्द होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। विद्युत उत्पादन के लिए गैस की जरूरत होती है लेकिन, पिछले चार माह से यहां मांग के अनुरूप गैस नहीं मिल रही है। जिसके चलते गैस टरबाइन नम्बर एक के साथ एक स्टीम टरबाइन पिछले डेढ़ माह से पूर्णतया बन्द पड़ी हैं। तीन गैस टरबाइन व दो स्टीम टरबाइन की बिजली उत्पादन क्षमता 270 मेगावाट की है लेकिन, इन दिनों केवल 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है जो आधे से भी कम है।

गैस की नहीं हो रही आपूर्ति

रामगढ़ गैस तापीय विद्युत गृह को मांग के अनुरूप गैस की आपूर्ति नहीं हो रही है जिससे बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है। ऑयल इण्डिया, ओएनजीसी व फोकस एनर्जी द्वारा गेल कम्पनी को गैस उपलब्ध कराई जाती है। गेल के माध्यम से इस गैस आधारित बिजलीघर को गैस की आपूर्ति की जाती है। क्षेत्र में गैस के अथाह भण्डार होने तथा इतने वर्षांे तक लगातार पर्याप्त आपूर्ति करने के बाद अचानक गैस की कमी होना समझ से परे है। सरकार की अनदेखी व उदासीनता के चलते दो बार लगातार राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ उत्पादकता अवार्ड प्राप्त बिजलीघर बन्द होने की कगार पर खड़ा है। जानकारी के अनुसार इस बिजलीघर को निजी कम्पनी के हाथों में देने की अटकलें लगाई जा रही हैं। ऐसे में आशंका है कि गैस कम्पनियां जानबूझ कर गैस की आपूर्ति को प्रभावित कर रही हैं।

धूल फांक रही हैं 250 करोड़ की मशीनें

बिजलीघर विस्तार के लिए चौथे चरण के लिए मंगवाई गई 250 करोड़ रुपए की मशीनें पिछले तीन वर्षों से धूल फांक रही हैं। इस 160 मेगावाट के चौथे चरण का शिलान्यास 8 जून 2013 को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। शिलान्यास के बाद चौथी इकाई की मशीनें भी खरीद ली गईं लेकिन, वर्तमान सरकार ढ़ाई साल का कार्यकाल बीतने के बाद भी गैस का करार भी नहीं कर पाई है। जिसके चलते चौथी इकाई का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में एक तो मशीनें बेकार पड़ी हैं, दूसरे 250 करोड़ रुपए का ब्याज लग रहा है। इन मशीनों का प्रतिवर्ष बीमा भी कराना पड़ता है। जिसमें विभाग को प्रतिवर्ष करोड़ों का चूना लग रहा है। चौथी इकाई शुरू होने से बिजलीघर की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।