फर्जी डिग्री:स्मृति के खिलाफ याचिका देरी के आधार पर रद्द

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016, 4:30 PM (IST)

नई दिल्ली। डिग्री मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को राहत देते हुए उनके खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने देरी के आधार पर उनके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।

याचिका में यह मांग की गई थी कि ईरानी ने चुनाव आयोग को अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में कथित तौर पर झूठी जानकारी दी थी इसलिए उनका निर्वाचन रद्द करने के साथ ही कानूनी कार्रवाई की जाए। स्मृति के खिलाफ शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने विभिन्न चुनाव लडऩे के लिए चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत सूचनाएं दीं।


मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने शिकायतकर्ता और स्वतंत्र लेखक आहमेर खान की ओर से दी गई दलीलें सुनने और चुनाव आयोग एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से स्मृति की शैक्षणिक डिग्रियों के बारे में सौंपी गई रिपोर्टों के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

मंगलवार की सुनवाई में उन्होंने ईरानी को समन भेजने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, पहली बात ये कि असली दस्तावेज समय के साथ खो गए हैं और उपलब्ध दस्तावेज मंत्री को समन भेजने के लिए काफी नहीं हैं। कोर्ट ने इसमें शिकायतकर्ता की मंशा पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की शिकायत करने में 11 साल लग गए यानी जाहिर है कि मंत्री को परेशान करने की मंशा से शिकायत की गई।

इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए एक अधिकारी ने अदालत को बताया था कि स्मृति की ओर से उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में दाखिल किए गए दस्तावेज मिल नहीं पा रहे। बहरहाल चुनाव आयोग ने कहा कि यह जानकारी उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
अदालत के पहले के निर्देश के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी कहा था कि स्मृति के 1996 के बीए पाठ्यक्रम से जुड़े दस्तावेज नहीं मिल पा रहे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान स्मृति ने अपने हलफनामे में 1996 में बीए पाठ्यक्रम करने का जिक्र किया था।
अदालत ने पिछले साल 20 नवंबर को शिकायतकर्ता की वह अर्जी विचारार्थ मंजूर कर ली थी जिसमें चुनाव आयोग और दिल्ली यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे स्मृति की शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेजों को पेश करें।

शिकायतकर्ता आहमेर खान ने आरोप लगाया था कि स्मृति ने 2004, 2011 और 2014 में चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी दी और इस मुद्दे पर चिंताएं जताए जाने के बाद भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। खान ने आरोप लगाया था कि स्मृति ने चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानबूझकर गुमराह करने वाली सूचना दी थी और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 और आईपीसी के प्रावधानों के तहत यदि कोई उम्मीदवार जानबूझकर गलत जानकारी देता है तो उसे सजा दी जानी चाहिए।