कब्जा देने के बाद भी भवन से मोह नहीं छूटा, पुलिस सील तोड़ काबिज हुई

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 17 अक्टूबर 2016, 11:05 PM (IST)

चित्तौड़गढ़। इसे पुलिस की दादागिरी कही जाए या हठधर्मिता। एक चौकी से पुलिस को एेसा लगाव हुआ कि वह छोड़ने को तैयार ही नहीं है। पंचायत के सील लगाने के बाद भी पुलिस ने दादागिरी कर सील तोड़ कर कब्जा कर लिया।

मामला ग्राम पंचायत बस्सी के बस स्टैंड पर स्थित पुलिस थाना और प्रतिक्षालय भवन का है, जहां पूर्व में बस्सी पुलिस चौकी और पुलिस थाना संचालित हो रहा था। राज्य सरकार द्वारा हाईवे पर नया थाना बनाए जाने के बाद पुलिस ने ये भवन खाली कर थाना वहां शिफ्ट कर दिया, लेकिन एकाध कमरे पर पुलिसकर्मी के बिस्तर आदि डालकर इस भवन पर डेरा जमाए रखा। पंचायत द्वारा खाली किए जाने का अनुरोध भी किया गया और जब पंचायत ने इस भवन पर अपना ताला लगाकर उसे सील चस्पा कर दिया तो पुलिसकर्मियों ने ग्राम पंचायत द्वारा लगाए गए ताले और सील को हटाते हुए उस पर फिर से कब्जा जमा लिया।
पंचायत के कब्जे में था भवन

पुलिस थाने के नए भवन में स्थानान्तरित हो जाने के बाद पंचायत की बेशकीमती और मुख्य बस स्टैंड पर इस भूमि पर बने पुराने प्रतीक्षालय और थाने के खाली हुए भवन को जब फिर से पंचायत ने अपने कब्जे में लेने का प्रस्ताव 20 सितम्बर 2016 को लिया गया और ये बात पुलिसकर्मियों को गले नहीं उतरी और बहाना ये बनाया कि उन्हें न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही प्रस्ताव की जानकारी है। सवाल ये है कि पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने का पावर होने का दुरूपयोग कर पुलिस कैसे पंचायत का लगाया ताला तोड़ सकती है, जबकि स्वायत्तशासी संस्था होने के नाते ग्राम पंचायत ने इस बाबत प्रस्ताव ले लिया था और उसके बाद ही पंचायत के सचिव ने भवन पर ताला लगाया था।
इस संबंध में एसपी प्रसन्न कुमार खमसेरा ने बताया कि खाली किए थाना भवन पर पुलिस का कब्जा था और ग्राम पंचायत ने खाली करवाने के लिए बिना कोई सूचना दिए ताला लगा दिया। पुलिस के कब्जे वाले भवन में ताला लगाना गलत है और इसीलिए हमने ताला तुड़वाकर भवन अपने पास ले लिया है।
इधर ग्राम सचिव मुक्ता लोठ का कहना है कि ग्राम पंचायत की कोरम का प्रस्ताव लिया गया था और उसी आधार पर खाली भवन पर ताला लगाया गया। पुलिस ने ताला तुड़वा दिया है, अब पंचायत द्वारा निर्णय लेकर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।