भारतीयता की पहचान हैं त्योहार , नारी है शान

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 17 अक्टूबर 2016, 11:57 AM (IST)

बीकानेर। त्योहार भारतीयता की पहचान है, तो उसकी शान हैं नारी। नारी ने ही दुनिया भर में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को जीवित रखा है। आज की युवा पीढ़ी को त्योहारों के पीछे प्रचलित रीति-रिवाजों और परम्पराओं की सही जानकारी देनी चाहिए। ये उद्गार कादम्बिनी क्लब द्वारा ‘भारतीय त्योहारों में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उषाकिरण सोनी ने व्यक्त किए। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए कादम्बिनी क्लब के संयोजक प्रो. डॉ. अजय जोशी ने कहा कि यदि महिलाएं हैं तो त्योहार है, और यदि त्योहार हंै तो वे महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव ही नहीं हैं। कवियत्री, कथाकार और महारानी कॉलेज की वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. संजू श्रीमाली ने कहा कि त्योहार हमारे मन उत्साह और उमंग का संचार करते हैं। इसकी संवाहक नारी ही है। गोष्ठी में शिक्षाविद् मोहनलाल जांगिड़ ने कहा कि भारतीय नारी की बच्चों को संस्कारित करने में महती भूमिका है।

उत्सवधर्मिता स्वाभाविक गुण


क्लब के सह संयोजक प्रो. डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि उत्सवधर्मिता महिलाओं का स्वभाविक गुण है, इसलिए त्योहार महिलाओं की सहभागिता के बिना अधूरे हैं। इस अवसर पर अभियंता निर्मल शर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से मां और उत्सवों में नारी की भूमिका को रेखांकित किया। गोष्ठी में डॉ. मंजुला बारहठ, कृष्णा वर्मा, डॉ. कृष्णा आचार्य, डॉ सुधा आचार्य, नागेन्द्र नारायण किराडू ,कासिम बीकानेरी, छात्रा मोनिका और मंजू यादव, डॉ. जगदीश बारहठ, हेमचंद बांठिया, राजाराम स्वर्णकार, बी.डी. हर्ष, अजीत राज, सरदार अली परिहार, डॉ. प्रकाशचन्द्र वर्मा, गिरिराज पारीक, भगवती प्रसाद पारीक, नरसिंह भाटी, असद अली असद, माजिद खान गौरी, अशोक कुमार विश्नोई सहित कई शिक्षाविदों, प्राध्यापकों, लेखकों व साहित्यकारों ने सहभागिता की।