आमजन से दूर है दुनिया का तीसरा बड़ा खजाना

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 29 सितम्बर 2017, 12:13 PM (IST)

बीकानेर। बीकानेर की आम अवाम के हृदय में बीकानेर राजपरिवार के प्रति गहरा मान-सम्मान है। आम जनता की स्मृतियों में राजपरिवार का कला एवं साहित्य प्रेम तथा जनकल्याण के कि़स्से आज भी सुरक्षित हैं। फिलहाल यहां पूर्व राजपरिवार के संरक्षण में तीन सौ साल पुराना अनमोल खजाना लोगों की पहुंच से दूर है।

अनूप सिंह ने संजोया था यह खजाना

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पुस्तकें अनमोल हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीकानेर के दसवें महाराजा अनूप सिंह ने ऐतिहासिक अनूप संस्कृत पुस्तकालय की स्थापना की थी। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हस्तलिखित ग्रन्थों का नायाब खजाना यहां है। जिसे अनूप सिंह ने मुगल सम्राट औरंगजेब के दक्षिण सैन्य अभियानों में जीते गए प्रदेशों से हासिल ग्रन्थों से समृद्ध किया था।

संस्कृत के विद्वान थे अनूप सिंह

महाराजा अनूप सिंह स्वयं संस्कृत के विद्वान थे। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों से विद्वानों को बीकानेर में आश्रय भी दिया था। अनूप सिंह के कार्यकाल में विद्वानों ने अमूल्य ग्रन्थों की रचना की। आजादी के बाद तक इस पुस्तकालय में देश-विदेश के सैकड़ों शोधार्थी ज्ञान की दौलत हासिल करने आते थे। इटली के विद्वान एल.पी. टेस्सीटोरी ने इस पुस्तकालय के हज़ारों ग्रन्थों को एक सूची में पिरोया था। इस पुस्तकालय में संगीत केएक सौ आठ बहुमूल्य हस्तलिखित ग्रन्थ हैं। ऐतिहासिक लालगढ़ पैलेस परिसर में होटलों से घिरा यह पुस्तकालय आम अवाम तक कब पहुंचेगा, यह सवाल मुंहबाएं खड़ा है।