मंडी(बीरबल)। धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी या कहिए कि विंटर केपिटल बनाने की चर्चा मुख्यमंत्री के बयान के बाद छिड़ गई है। वैसे कहा जाए तो हिमाचल प्रदेश में जम्मू-कश्मीर जैसे हालात नहीं कि यहां छोटे से प्रदेश में दो-दो राजधानियां हों जहां एक ग्रीष्मकालीन और दूसरी शरदकालीन। यूं भी शिमला और धर्मशाला के मौसम में कोई ज्यादा फर्क नहीं है, मगर साफ लग रहा है कि राजधानियों का यह हिसाब-किताब पूरी तरह से राजनीतिक है और राजनीतिक दल अपने हिसाब से इसे उछालते रहते हैं। अब इसे प्रदेश की राजनीति की मजबूरी कहें कि मध्य जोन मंडी के नेताओं की इच्छा शक्ति, इसमें कभी मंडी का जिक्र नहीं होता। [@ ऐसे करें पूजा, घर में कभी नहीं आएगी धन की कमी] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो मंडी ही प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो हर लिहाज से राजधानी के काबिल है। पावंटा साहिब से लेकर चंबा के तीसा तक को यदि एक पैमाने से देखा जाए तो मंडी एक दम से मध्य में पड़ता है। मंडी, सुंदरनगर या फिर हमीरपुर का जाहू इसे प्रदेश का केंद्र बिंदु माना जा सकता है और यहां पर प्रदेश की राजधानी हो इस बारे में समय-समय पर आवाजें उठती रहती हैं। यह अलग बात है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के चलते इन आवाजों को ताकत नहीं मिल पाती है।
1977 व 1990 में जब प्रदेश में शांता कुमार मुख्यमंत्री थे तो उनकी एक सोच थी शिमला को बचाया जाए और इसे दुनिया का बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में ही उभारा जाए जबकि सरकारी कामकाज प्रदेश के किसी ऐसे भाग से चलाया जाए जो सबके लिए, हर मौसम में सुगम हो, सुविधाजनक हो। इसके लिए उन्होंने सुंदरनगर का नाम सुझाया था और इस कड़ी में कुछ कार्यालयों जिनमें बिजली बोर्ड के मुख्यालय की भी बात थी को शिमला से बदल कर सुंदरनगर लाने की कवायद शुरू हुई थी। इसके बाद 1990 में मंडी के दरंग हलके से जीते तेज तरार दीनानाथ शास्त्री ने भी एक अभियान सुंदरनगर मंडी में राजधानी लाने का चलाया था।
उन्होंने कुछ विधायकों के हस्ताक्षर भी करवा लिए थे मगर राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के चलते यह प्रयास भी सिरे नहीं चढ़ पाया। कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी यदा कदा इस बारे में मांग उठाती रहती हैं। मगर उसमें राजनीतिक समर्थन जो आज के समय में जरूरी हो गया है का अभाव रहता है। अब शिमला के साथ-साथ धर्मशाला को भी राजधानी बनाने की बात सामने आ रही है, चर्चा जोरों से चल पड़ी है। मगर यदि सही मायने में लोगों की राय ली जाए तो निश्चित रूप से प्रदेश में राजधानी के लिए सुंदरनगर सही जगह है। जहां पर विस्तार के लिए अपार संभावनाएं हैं, जहां 12 महीने मौसम सही रहता है, जो प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण लाइफ लाइन एनएच 21 से जुड़ा है। दिल्ली-लेह मार्ग के बीच में स्थित है, रेलवे लाइन की पूरी संभावनाएं यहां के लिए बनी हुई हैं, यहां बिजली, पानी जैसा कोई संकट नहीं है। राजधानी के लिए जो भी सुविधाओं की जरूरत होती है वह सब यहां पर हैं।
First Phase Election 2024 : पहले चरण में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, यहां देखें कहा कितना मतदान
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
पहले चरण के बाद भाजपा का दावा : देश में पीएम मोदी की लहर, बढ़ेगा भाजपा की जीत का अंतर
Daily Horoscope