भरतपुर। विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानवाधिकार संगठन पी.यू.सी.एल भरतपुर ईकाई के तत्वाधान में ‘मानवाधिकार का संरक्षण-वर्तमान परिपेक्ष’ में सुनील राज एडवोकेट की अध्यक्षता मे विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता डा. अरविन्द वर्मा ने कहा कि मानवाधिकार का मतलब सभी को सम्मान और समानता के साथ जीने का अधिकार होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार होना चाहिए तथा सभी को विकास का समान अवसर मिलना चाहिए। समाज में असहिष्णुता व धृणा फैलाने वाले तत्वों पर रोक लगाकर मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। देश की जनता पर सत्ता द्वारा कोई भी निर्णय जबरन थोपा जाना मानवाधिकार का स्पष्ट उल्लंधन है। देश के प्रधानमंत्री द्वारा मनमाने तरीके से थोपी गई नोटबंदी के कारण सौ से अधिक लोगों की जान चली गई। हजारो उधोग-धंधो के बंद होने से लाखों मजदूर बेरोजगार हो गये उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है और भूखों मरने की स्थिती में है। लोग अपने ही पैसो को अपनी जरुरत पर बैंको से नही निकाल पा रहें है यह उनके संवैधानिक अधिकारो का खुला उल्लंघन है।
सरकार के द्वारा नोटबंदी के समय कहा गया था कि इससे आतंकवाद, कालाधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और आम जनता को राहत मिलेगी लेकिन वर्तमान में ना तो आंतकवाद रुका, ना भ्रष्टाचार खत्म हुआ, ना ही कालाधन बाहर आया ठीक इसके विपरीत आम जनता पीडि़त हो रही है। गोष्ठी का संचालन करते हुए पी.यू.सी.एल भरतपुर के जिला सचिव राजेन्द्र कुन्तल ने कहा कि आज पूरे देश मे वित्तिय आपातकाल जैसी स्थिती है। जरुरत मंद लोग अपनी बेटी की शादी, इलाज आदि के लिए अपना पैसा नही निकाल पा रहे है। बैंको और एटीएम में जानबूझ कर पैसा नही पहुंचाया जा रहा है। जिससे की आम जनता के पैसे को डरा धमका कर जबरन बैंको में जमा कराया जाकर इन पैसो से अडानी और अंबानी जैस बडे उद्योगपतियों को और अधिक कर्जा दिया जा सके। इस नोटबंदी से आम जनता का लाखो करोडो रुपये का नुकसान हुआ है और लाखो लोग भूखो मरने की स्थिती में है आज दिहाडी मजदूरो के पास ना खाने को पैसा है और दवाई के लिए पैसा है यह देश की जनता के मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारो का खुला उल्लंधन है। इसके विरुद्ध जनता को एकजुट होना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ट उपाध्यक्ष का राधेश्याम वर्मा ने कहा कि इस अचानक की गई नोटबंदी से आम कर्मचारी और वृद्ध पेंशनर बुरी तरह से पीडित है। घंटो तक कई कई दिन तक लाईन में लगने के बाबजूद भी वेतन और पेंशन लेने में परेशानी आ रही है। इस विचार गोष्टी में कामरेड नरेन्द्र पचौरी, कामरेड महेन्द्र सोंलकी, डा. प्रेमसिंह कुन्तल, का. दलजीत, भुवनेश्वरी पुरोहित, रुचि गर्ग एडवोकेट, सोमन्द्र गोपालिया, राजेन्द्र जति आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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