भोपाल। सूखे की मार झेलते मध्यप्रदेश में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के डेडीकेशन मूवमेंट के तहत कारोबारियों को गेहूं बेचे जाने में ब़डा घोटाला हुआ है।
एफसीआई के दो अधिकारियों की जांच रिपोर्ट इस घोटाले की ओर इशारा कर रही है। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि दो जांच रिपोर्ट एफसीआई के मुंबई मुख्यालय भेजे छह माह का वक्त गुजर जाने के बाद भी एफसीआई ने अफसरों और ग़डब़डी करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा है।
देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश में भी एफसीआई द्वारा नई फसल आने से पहले पुराने गेहूं की ओएमएसएस के तहत खुली बिक्री की जाती है, ताकि नई फसल को रखने के लिए गोदाम में स्थान सुनिश्चित किया जा सके।
इस प्रक्रिया से गेहूं वही कंपनियां खरीद सकती हैं, जो निगम में पंजीकृत (इम्पेनल्ड) होती है। गेहूं विक्रय के लिए प्रति सप्ताह ई-निविदाएं जारी की जाती हैं।
बोली में तय मात्रा का गेहूं उसी कंपनी को दिया जाता है, जो तय शर्तो का पालन करते हुए सबसे ऊंची बोली लगाता है। इसी में ग़डब़डी सामने आई है। ऎसी दो कंपनियों को 15 हजार 900 मीट्रिक टन गेहूं का आवंटन किया गया, जिन्होंने शर्तो का उल्लंघन किया था।
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