आएये जानते हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्या है जीत का समीकरण ? कौन सी सियासी पार्टी कितने पानी में है ? किस राजनीतिक पार्टी में कितना है दम, राजनीतिक पार्टियों के गुणा-भाग का क्या है आंकड़ा ?
उमाकांत त्रिपाठी, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 की घोषणा हो चुकी है। यह चुनाव 7 चरणों में होगा। जिसमें कि पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मतदान होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ना किसानों की जमीन के रूप में भी जाना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर जाने से पहले यहां की जातिगत समीकरण पर नजर डालते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की संख्या 25.9 प्रतिशत जबकि हिंदुओं की संख्या 75.89 प्रतिशत है। वहीं लगभग 1.41 प्रतिशत लोग और दूसरे धर्मों को मानने वाले हैं। हिंदुओं में भी 25 प्रतिशत दलित, 7 प्रतिशत यादव, 6 प्रतिशत जाट और 4 प्रतिशत गुर्जर हैं। जबकि लगभग 8 प्रतिशत राजपूत हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद कांग्रेस का राज्य रहा। कांग्रेस के बाद जाटों और पिछड़ों का समर्थन लेकर चौधरी चरण सिंह एक बड़े नेता के रूप में उभरे। हलांकि उनका जाट समाज कुछ जिलों तक ही सीमित था। जिसमें धीरे-धीरे उनके समर्थन में मुस्लिम भी आए और पश्चिमी यूपी में उनका राज्य चलने लगा। चौधरी चरण सिंह के नाम पर उनके बेटे अजीत सिंह इस सियासी जमीन पर अपना कब्जा जमाए रहे। लेकिन लोकसभा चुनाव-2014 के बाद देखा जाए तो सारे समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। आरएलडी सिमट कर छोटा होता जा रहा है। जहां विधानसभा चुनाव 2012 में आरएलडी को केवल 9 सीट मिले थे वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में अजीत सिंह बागपत और उनके बेटे जयंत सिंह मथुरा से चुनाव ही हार गए।
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