अमृतसर (नरेंद्र शर्मा )। पंजाब हरियाणा और अन्य राज्यों की शांतमयी फिजा में तल्खी पैदा करने वाले पानी के बंटवारे का झगड़ा कई वर्षों से चला आ रहा है। इस बंटवारे को लेकर समय-समय पर न्यायालय में कई कानूनी केस दायर हुए है। परन्तु यह समस्या अभी तक ज्यों की त्यों बनी हुई। इन राज्यों के बीच सर्वप्रथम 29 जनवरी 1955 में पानी का बंटवारा हुआ था। उस समय केंद्र सरकार ने इन राज्यों की एक मीटिंग बुलाकर पानी का बंटवारा किया था।
बंटवारे के समय कुल 15.85 एमएमएफ पानी माना गया था। सभी की सहमति से हुए इस बंटवारे में उस समय 5.90 एमएएफ पानी पंजाब 1.30 एमएफ पेप्सू 8.00 एमएएफ राजस्थान 0.65 एमएएफ जम्मू-कश्मीर को दिया गया था। यह बँटवारा संयुक्त पंजाब के समय हुआ था। उसके बाद 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 में कहा गया था की भाखड़ा - व्यास पर बनने वाले प्रोजक्टों के अधिकार और देनदारियां केंद्र के साथ विचार-विमर्श करके राज्यों को बांटी जाएगी। सभी राज्यों को केंद्र के आदेश मान्य होंगे। एक्ट की धारा 79 के अनुसार केंद्र भाखड़ा मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करेगा। यह बोर्ड भाखड़ा के प्रबंध का जिमेदार होगा।
एक्ट की धारा 80 के अनुसार केंद्र व्यास निर्माण बोर्ड का भी गठन करेगी जो राजस्थान सहित सभी सम्बन्धित राजों को मान्य होगा। हरियाणा के अस्तित्व में आने के लगभग 10 वर्ष बाद 24 मार्च 1976 को पानी के बंटवारे के बारे में एक और नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था की यह देखा गया है की हरियाणा का बहुत बड़ा भाग वीरान और सूखाग्रस्त है। उसके पास पंजाब के मुकाबले सिंचाई की सुविधाएं भी कम हैं और पानी का अन्य कोई स्रोत भी नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए हरियाणा को संयुक्त पंजाब के हिस्से से 3.5 एमएएफ पानी अधिक देने के निर्देश देती है। इस नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया था की जब रावी से सम्बन्धित काम पूरा हो जायेगा तो पंजाब उससे उपलब्ध 7.20 एमएएफ पानी में से अपना 3.5 एमएएफ पानी लेने का हकदार होगा। बाकि पानी दिल्ली को पीने के लिए दिया जायेगा।
पानी के बारे में 31 दिसम्बर 1981 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय भी एक समझौता हुआ था। जिसमें पंजाब की और से मुख्यमंत्री दरबारर सिंह हरियाणा की और से चौ. भजन लाल और राज्यस्थान के मुख्यमंत्री चरण माथुर भी मौजूद थे। तीनो राज्यों ने राष्ट्रीय हितों को मदद्ेनजर रखते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। उस समय 1955 की 1921-45 बाली फ्लो सीरीज को बड़ा कर 1921.60 माना गया था। इसके आधार पर कुल पानी को बड़ा कर 15.85 की बजाए 17.17 एमएएफ माना गया था। इसमें से पंजाब को 4.20, हरियाणा को 3.5, राजस्थान को 8.60, देहली को 0.20, और जम्मू-कश्मीर को 0.65 एमएएफ पानी दिया गया था।
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