करनाल।
नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा-कचरा व हानिकारक पदार्थों को खुले में जलाकर
वातावरण प्रदूषित करने वाले सावधान, ऐसा करने पर कानूनन 5000 रूपये
जुर्माना भरना पड़ेगा। [# ठगों ने बजाया कुंवारों का बैंड,ठगे लाखों] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
निगम
आयुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने इस सम्बंध में बताया कि करनाल, राश्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र के अधीन आता है। इसके तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
के केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण बचाओ एक्ट 1986 की
धारा-5 के अंतर्गत सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें वातावरण को
प्रदूशित करने वाले सूखे पत्ते, प्लास्टिक, रबड़ या अन्य हानिकारक पदार्थ
तथा गंदगी को खुले में जलाने की मनाही है। ऐसे पदार्थों के जलने से जहरीली
गैसें निकलती हैं, जो सांस के साथ अंदर जाकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को
न्यौता देती हैं। उन्होने बताया कि ऐसा करने वाले व्यक्ति के
विरूद्ध, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) 2010 के तहत
5000 रूपये जुर्माना लगाया जाएगा। इसी प्रकार भवनों को गिराने से उत्पन्न
डस्ट अथवा मिट्टी से भी वातावरण प्रदूषित होता है। इसी एक्ट के तहत ऐसा
करने की भी मनाही है और उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध भी कानूनी
कार्यवाही की जाएगी।आयुक्त ने बताया कि एन.जी.टी. के
निर्देषानुसार षहरी निकाय विभाग का नगर निगम इन आदेषों की पालना सुनिष्चित
करवाने के लिए पाबंद रहेगा। यदि किसी भी नागरिक को वातावरण प्रदूषित होता
दिखाई दे तो जनहित में उसकी शिकायत निगम के टोल फ्री नम्बर 1800 180 2700
पर कर सकते हैं। उन्होने यह भी बताया कि सड़को, नालियों व खुले
में बिखरे बेकार पोलीथीन कैरीबैग भी पर्यावरण को प्रदूशित करने में मुख्य
कारण बन रहे हैं। पोलीथीन जमीन पर गिर जाए तो पानी को रिचार्ज नही होने
देता। ऐसी जगह जहां पोलीथीन बड़ी संख्या में जमीन पर पड़ा हो वहां वनस्पति
या पौधे पनप नहीं सकते। इनके स्पर्ष में आने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन
से ष्वास संबंधी रोग हो जाते हैं। रिसाईकिल किया गया पोलीथीन तो बहुत ही
हानिकारक है। लोगों को पोलीथिन के प्रयोग से बचना चाहिए, इनकी जगह कपड़े
के थैलों का ही प्रयोग करना चाहिए। आयुक्त ने
आम जनता से अपील कि है कि पर्यावरण का संरक्षण करना हर नागरिक का कर्तव्य
है, जिसे निभाना चाहिए। उन्होने कहा कि पोलीथीन कैरीबैग के प्रयोग को
जागरूकता से ही कम किया जा सकता है। दुकानदार भी ग्राहकों को जागरूक करने
में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं, अर्थात दुकानदार या रेहड़ी वाले ग्राहकों
को खरीदारी के लिए अपने घर से कपड़े के थैले लाने के लिए कहें।
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