कानपुर। विधानसभा चुनाव की रणभेरी हो चुकी है और जनप्रतिनिधि बनने
की चाह लिए दावेदारों ने मतदाताओं के यहां डोरा डालना शुरू कर दिया है। लेकिन कानपुर
की जनता विकास की अनदेखी का आरोप लगा जनप्रतिनिधियों को जनप्रतिनिधि मानने को ही तैयार
नहीं है। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि कई दशक पहले गुम हो चुके है और अपनी कमाई
का जरिया बनाने के लिए नेताओं ने राजनीति को व्यवसायिक प्रतिष्ठान बना दिया।
विधानसभा चुनाव को अपने पाले में करने के लिए इन दिनों
प्रत्याशी व संभावित दावेदार मतदाताओं के दर हाजिरी लगा रहे हैं। हर बार की भांति इस
बार भी वादों की झड़ी लगाई जा रही है। कोई चमचमाती सड़क बनाने की बात कर रहा है तो कोई
विकास की गंगा बहाने का विश्वास दिला रहा है। कुछ तो उन लोगों को व्यक्तिगत फायदा पंहुचाने
की बात कर रहें है जिनके कहने पर अच्छा खासा वोट मिल सकता है। ऐसा नहीं है कि नेताओं
की इस नीति पर लोग उनके साथ जुड़ नहीं रहे हैं। पर कुछ ऐसे भी है जिनका विचार कुछ अलग
ही है। ऐसे लोग नेताओं की बातों पर कतई विश्वास करने को तैयार नहीं है। यही नहीं बार-बार
झूठे वादों से इन पर इस कदर नकारात्मक असर पड़ रहा है कि मतदान करने से भी हिचक रहे
हैं। यहां तक भी कहा जा रहा है कि तीन दशक पहले ही यहां से जनप्रतिनिधि गायब हो गये
हैं। जिससे कानपुर का विकास पूरी तरह से ठप्प हो गया और नेता राजनीति को व्यवसायिक
प्रतिष्ठान बना दिया।
समाजसेवियों
के बोल
समाजसेवी राजेन्द्र खरे ने कहा कि आजादी के बाद जनप्रतिनिधियों
में जो जनता के प्रति लगाव रहा आज नेताओं में कहीं भी नहीं दिखता। जिससे जनता का जनप्रतिनिधियों
के प्रति विश्वास उठ गया है। अनिल निगम जो गरीबों और बेसहरा लोगों के फ्री में केस
लड़ते हैं ने बताया कि पॉलीटिशियन और पॉलीटिक्स गुम हो गई है। अब राजनेता जनहित के काम
के लिए नहीं बल्कि अपने घर और परिवार का विकास करने के वास्ते इस पेशे पर आ रहे हैं।
अनीता दुआ का कहना है कि कानपुर में 10 विधायक व दो सांसद है। लेकिन कानपुर के हालात
30 साल जैसे आज भी बरकार है। शहर में क्राइम व क्रिमिनल करप्शन करने वालों का बोलबाला
है। जुमले और लोक लुभावन बातों के दम पर नेता जनता को अपनी बातों पर फंसाकर वोट ले
लेते हैं और फिर कभी दिखाई नहीं देते। शहर की फैक्ट्रियां बंद हैं वहीं अपराध और अपराधी
बढ़ रहे हैं। बेरोजगारों की संख्या लाखों में है और रोजगार सीमित हैं।
आम मतदाता का
दर्द
काकादेव के रामनारायण गुप्ता का कहना है कि जनप्रतिनिधियों
के स्तर पर लगातार गिरावट आ रही है। काम करते नहीं है और झूठ बोलकर जनता को बेवकूफ
बनाने की कोशिश करते हैं। चुन्नीगंज के आरिफ खान का कहना है कि क्षेत्र में जगह-जगह
फैली गंदगी व टूटी सड़के बता रही हैं कि जनप्रतिनिधि यहां पर है या नहीं। यहां पर सब
रूपया कमाने के लिए राजनीति को व्यवसायिक प्रतिष्ठान बना लिया है।
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