सीकर। आजादी के छह दशक बाद भी अभी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां रोशनी नहीं पहुंची है। जिले से अंधेरा पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाया है। हालत यह है कि सेन्सस 2001 के आंकड़ों के अनुसार 752 घरों में अंधेरा था वहीं 2011 में यह संख्या कम होने के बजाए बढ़ गई है। जिले के 1881 घरों के लोग अंधेरे में रहने को विवश है। वहीं एक लाख एक हजार 732 घरों में लालटेन (केरोसिन) के जरिए अंधेरे से लड़ा जा रहा है। जनगणना के अनुसार सीकर जिले में 4 लाख 45 हजार 713 घर गिने गए थे। इनमें से तीन लाख 39 हजार 457 घरों में ही बिजली कनेक्शन हैं। जबकि एक लाख एक हजार 32 घरों में आज भी लोग चिराग या लालटेन से अपने घर को रोशन कर रहे हैं। इसके अलावा 521 घरों में सौर ऊर्जा से रोशनी हो रही है। हालांकि बीते कुछ सालों में सौर ऊर्जा का उपयोग ज्यादा बढ़ा है। कई गांव ऐसे हैं जहां पूरी तरह से सौर ऊर्जा से ही रोशनी पाई जा रही है। [@ EXCLUSIVE: क्या धरतीपुत्र की पकड़ अपने ही शिष्यों पर कमजोर पड़ गई है ?]
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