नई दिल्ली। इशरत जहां को डेविड कोलमैन हेडली द्वारा लश्कर-ए-तैयबा की फिदायीन आतंकी बताए जाने के बाद अब आईबी के पूर्व अफसर ने तत्कालीन संप्रग सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। आईबी के पर्व स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार ने कहा है कि संप्रग सरकार को इशरत के लश्कर कनेक्शन की पूरी जानकारी थी, लेकिन पद का लालच देकर सरकार ने खुफिया रिपोर्ट दबाने की कोशिश की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें इस फर्जी मुठभेड कांड में फंसाने की कोशिश की गई थी, अब वह इसके खिलाफ सरकार और कोर्ट में अपील करेंगे।
मुठभेड से आईबी का लेना-देना नहीं...
राजेंद्र कुमार ने बताया कि आईबी का काम पुलिस को इनपुट देना है। हमने जो भी सूचनाएं जुटाई थीं, सब पुलिस को दे दी थी। मुठभेड से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। मैंने तब लिखा था कि वे लोग गुजरात सहित भारत के कई हिस्सों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में हैं।
कुमार ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि तथ्यों को तोड-मरोडकर और छुपाकर जिन्होंने भी मुझे और बाकी आईबी अफसरों को फंसाने की कोशिश की, मैं उनके खिलाफ सुबूत जुटा रहा हूं। मैं अपने कानूनी सलाहकार से परामर्श ले रहा हूं। मैं अपनी शिकायत को सरकार या फिर कोर्ट में दर्ज कराऊंगा। कुमार ने आगे कहा, मेरी शिकायत में सिर्फ गलत करने वाले सीबीआई अफसर ही नही, बिल्क उच्चा पदों पर बैठे उन साजिशकर्ताओं का भी नाम होगा, जिन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए इन अधिकारियों का इस्तेमाल किया।
आईबी की गुजरात यूनिट का नेतृत्व कर चुके कुमार पर पुलिस के साथ इशरत और उसके साथियों के एनकाउंटर की साजिश रचने का आरोप है।
हालांकि कुमान ने टाइम्स नाउ से कहा कि एक सीनियर कांग्रेस नेता ने तथ्यों का हेरफेर करने वाले लालची सीबीआई अफसरों को रिटायरमेंट के बाद नौकरी भी ऑफर की थी।
कुमार ने कहा कि संप्रग शासन के वक्त हुए फर्जी एनकाउंटर के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए रची गई साजिश में वह पीडित हैं।
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