अमरीष मनीष शुक्ला,इलाहाबाद। सत्ता का प्रभुत्व क्या होता है और ताकत मिलते ही नेताओं के सुर कैसे बदल जाते है इसका जीता जागता उदाहरण इलाहाबाद में देखने को मिला । यहां एसीजेएम कोर्ट ने केशव मौर्य को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया था। लेकिन मौर्य पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वह न्यायालय में पेश नहीं हुए। हालांकि न्यायालय ने केशव कोई एक और मौका दिया है और 17 जनवरी को न्यायालय में पेश होने को कहा है। मालूम हो कि 19 साल पहले एडीएम सिटी के कार्यालय में केशव प्रसाद मौर्य ( वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष) व उनके साथियों रज्जन कुमार, अरुण, अनूप कुमार, अंतिम कुमार पर बलवा करने का मुकदमा दर्ज हुआ था। तब बतौर विहिप नेता केशव मौर्य अपने डेढ़ सौ साथियों के साथ एडीएम सिटी कार्यालय में घुस कर जमकर उत्पात मचाया था। एडीएम सिटी न मौजूदगी पर कुर्सियां तोड़ दी गई । आरोप यह भी था कि सरकारी कार्य को बाधित किया गया जान से मारने की धमकी दी गई । यहां तक कि वे एडीएम की कुर्सी पर भी बैठ कर बवाल किया जाता रहा। इस मामले में एडीएम कार्यालय में तैनात तत्कालीन लिपिक ऋषभदेव ने कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। 6 मार्च सन 2000 को पुलिस ने विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। इस केस की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट परमेश्वर प्रसाद की कोर्ट में चल रही है। इसमे बतौर अभियुक्त केशवप्रसाद मौर्य को कोर्ट में बयान देने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें अंतिम मौका दिया है। अब 17 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होगी, जिसमें केशव प्रसाद मौर्य को पेश होना है।
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष की पावर मिलने के बाद से ही केशव मौर्य पुराने मुकदमे व मामलों में खुद को निकालने में जुटे हुये हैं। फिलहाल कोर्ट के फरमान को न मानने पर न्यायालय सख्त रूख भी अपना सकता है।
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