• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

पछाड़ दिया दृष्टिहीनता का अभिशाप, पेश की मिसाल

udaipur news : Presenting the example of the blind man - Udaipur News in Hindi

उदयपुर। किशोरावस्था में ही नियति ने मेवाड़ के इस शख्स की आंखों की रोशनी छीन ली, मगर हुनर, जिजीविषा और अदम्य आत्मविश्वास की रोशनी ने इसके व्यक्तित्व को ऐसा निखार दिया कि आज वह हस्तकलाओं के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहा है। ऐसा करके उसने एक मिसाल पेश की है।

यह बात है उदयपुर शहर के जगविख्यात जगदीश मंदिर के पास नानी गली स्थित राजकीय कंवरपदा स्कूल के पास रहने वाले भगवतसिंह खमेसरा की। उन्होंने अपने खास हुनर से आत्मनिर्भरता पाई और दृष्टिहीनता के अभिशाप तक को पछाड़ दिया। आंखों की रोशनी से वंचित होने के बावजूद वे जिस खूबसूरती से केनिंग व डोरमेट का काम कर रहे हैं, वह स्वावलंबन से जीवन निर्वाह के इच्छुकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होने के साथ ही दृष्टिहीनों के सम्मान व स्वाभिमान को भी गौरवान्वित करने वाला है। पिछले कई वर्षो से शहर के विभिन्न सरकारी कार्यालयों, संस्थाओं, विद्यालयों आदि में खमेसरा केनिंग का कार्य करके अपना गुजारा कर रहे हैं।

उदयपुर में 12 नवंबर, 1942 को जन्मे भगवत सिंह पुत्र डॉ. मोतीसिंह खमेसरा बचपन से दृष्टिहीन नहीं थे। उनकी मां का नाम सहेली बाई है। पंद्रह साल की उम्र के करीब उनकी आंखों में धुंधलेपन की शिकायत रहने लगी। इसके इलाज के लिए भगवतसिंह ने विशेषज्ञों की राय से सीतापुर (मध्यप्रदेश) में आंखों का ऑपरेशन भी करवाया और इलाज के सारे उपाय अपनाए, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय बाद दोनों आंखें खराब हो गईं और दिखना बंद हो गया। इसके बावजूद खमेसरा ने हार नहीं मानी। किसी परिजन की राय पर भगवतसिंह अहमदाबाद स्थित दृष्टिहीन बच्चों के प्रशिक्षण स्कूल में प्रशिक्षण के लिए गए, लेकिन गुजराती भाषा नहीं जानने के कारण वहां से निराशा ही हाथ लगी।

उस विद्यालय के प्रिंसिपल ने उन्हें माउंट आबू स्थित दृष्टिहीन व्यक्तियों के पुनर्वास केन्द्र में जाने की सलाह दी और वहां से माउंट आबू भेज दिया। जुलाई 1979 में माउंट आबू में खमेसरा ने लगन के साथ केनिंग और डोरमेट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वहां उन्होंने एक वर्षीय प्रशिक्षण के दौरान ब्रेल लिपि द्वारा नोटों की जांच, चलना, वस्तुओं की पहचान करना, घास कटाई, गाय का दूध निकालना आदि का प्रशिक्षण लिया। केनिंग में दक्षता हासिल कर चुके खमेसरा के इस हुनर ने खूब सराहना पाई। उन्हें जिला स्तर एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया।

आज अपना लघु उद्योग चलाकर अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, वहीं औरों को भी रोजगार दे रहे हैं। पिछले तीन दशकों में वे हजारों कुर्सियों की केनिंग कर चुके हैं वहीं सैकड़ों डोरमेट भी बनाए हैं।

वर्तमान में वे उदयपुर के अशोक नगर में किराये का मकान लेकर रहते हैं। दो दर्जन से अधिक लोगों को केनिंग सिखाकर वे रोजगार दे चुके हैं। उन्होंने गरीब परिवारों की महिलाओं को भी यह काम सिखाया है। हाल ही सुंदरसिंह भंडारी चेरिटेबल ट्रस्ट ने उन्हें 7 हजार रुपए का चेक प्रदान कर सम्मानित किया है।

बाबा बनकर दरिंदा लूटता रहा बेटियों की आबरू , महीनों बाद खुला राज

यह भी पढ़े

Web Title-udaipur news : Presenting the example of the blind man
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: udaipur news, presenting, example, blind, man, rajasthan hindi news, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, udaipur news in hindi
Khaskhabar Rajasthan Facebook Page:
स्थानीय ख़बरें

राजस्थान से

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved