नई दिल्ली। तीन तलाक के मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में बोर्ड ने कहा कि
पर्सनल लॉ को सामाजिक सुधार के नाम पर दोबारा से नहीं लिखा जा सकता। तलाक
की वैधता सुप्रीम कोर्ट तय नहीं कर सकता है।
हलफनामे में बोर्ड ने कहा कि पहले कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ये मामला तय कर चुका है। मुस्लिम पर्सनल
लॉ कोई कानून नहीं है जिसे चुनौती दी जा सके, बल्कि ये कुरान से लिया गया
है। ये इस्लाम धर्म से संबंधित सांस्कृतिक मुद्दा है।
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