बठिंडा। ट्रेड यूनियन नेता कामरेड जगमोहन कौशल के अंतिम संस्कार में आज बड़ी संख्या में लोग शामिल हुये। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चले आ रहे थे। उनकी शव यात्रा में जगमोहन कौशल अमर रहे के नारे गूंज रहे थे। अपने जीवन के 79 से अधिक लंबे जीवन में से आधे से अधिक जीवन संघर्ष में बिताने वाले जगमोहन कौशल जो कि अध्यापक के तौर पर सेवानिवृत हुये थे ने अध्यापकों के लिये कड़ा संघर्ष किया। वह शिक्षाविद् थे।
उन्होंने अंगेजों के मसय से लागू शिक्षा नीति में बदलाव के लिये आवाज उठाई। इस सम्बंध में उन्होंने टीचर्ज होम में कई सेमीनार करवाये। शिक्षा के क्षेत्र में सरगर्मियों का केन्द्र बने टीचर्ज होम बठिंडा के चेयरमैन होने के नाते उनको हमेशा याद किया जायेगा। वह अक्सर इस बात से नाराज दिखते थे कि हम अपनी डियूटी के प्रति निष्ठावान नहीं हैं।
उन्होंने शिक्षा पर आधारित मैगजीन (सही वुनियाद) का संपादन किया। उनके शव पर कम्युनिस्ट पार्टी व टीचर्ज होम ट्रस्ट बठिंडा द्वारा ध्वज डाला गया। अंतिम शव यात्रा में एएसएफआई के अध्यक्ष प्रो. सुमित सम्मी, जम्हूरी अधिकार सभा के बज्गा सिंह, प्रिंसीपल जगदीश सिंह घई, एडवोकेट एन के जीत, डा. अजीतपाल सिंह, टीचर्ज होम सोसायटी के लछमण मलूका, बठिंडा विकास मंच के राकश नरूला, कई समाजसेवी संगठनों , धार्मिक संगठनों व पार्टियों के नेता व सदस्य शामिल हुये।
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