नरेंद्र शर्मा। [@ Punjab election-सेना के अफसरान रहें ये अब कौनसा मैदान मारने की तैयारी में है...]
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री बादल पर जूता फेंकना ,हरसिमरत की धमकी ,लुधियाना में हिन्दू नेता की हत्या ,मनप्रीत बादल की पत्नी पर हमला, सुखबीर का बार-बार आप पर कट्टरवादियों के साथ हाथ मिलाने और उनसे फण्ड लेने के आरोप लगाने से ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जाने लगी हैं की आने वाले दिनों में राज्य की चुनावी फिजां में हिंसा का जहर घुल सकता है। अगर सत्ता हस्तांतरण के समय इस प्रकार की हिंसा का रुझान बड़ा तो यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। वैसे तो चुनावों के समय पार्टियों के कार्यकर्ताओं के मध्य अचानक छुटपुट हिंसा होना स्वाभाविक है परन्तु यदि यह हिंसा योजनाबद्ध ढंग से आयोजित हो तो हालात विगडऩे निश्चित होते हैं।
सम्भव है की मुख्यमंत्री के प्रति लोगों के मन में बहुत गुस्सा हो परन्तु इसे प्रदर्शित करने का जो तरीका अपनाया गया बह कतई लोकतान्त्रिक और आकस्मिक नहीं था। बल्कि यह घटना उस खतरनाक योजना की ओर संकेत करती करती है जिसके तहत राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके बजुर्ग सियासतदान को अपमानित किया गया।
इस घटना के बाद उनकी बहु और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने जो बयान दिया उसे भी किसी सूरत में उचित नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि उनका बयान हिंसा को प्रोत्साहित करने वाला और बदले की भावना से ओतप्रोत था ।उनके बयान की भाषा एक केंद्रीय मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे राजनीतिक व्यक्ति जैसी नहीं बल्कि एक डॉन जैसी ज्यादा थी।
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