बारां। ‘उम्र भर बस यूं ही मुस्कुराते रहो, मैं गज़ल हूं मुझे गुनगुनाते रहो, बेवफाई का लम्हा न मिल पाएगा, जिन्दगी भर हमें आजमाते रहो‘ जैसी गजल से मेरठ की षायरा उज्मा परवीन ने फिजां को रूमानियत से सराबोर कर दिया।
नगर परिषद के तत्वावधान में डोल मेला रंगमंच पर गुरूवार रात को आयोजित अखिल भारतीय मुशायरे में कई जाने माने शायरों ने अपने कलाम पेश करते हुए सियासत और मुहब्बत के रंगों को उजागर किया तो कभी कश्मीर के हालातों को जिक्र उठाया। उम्दा शेरो-शायरी से शायरों ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
शायरा परवीन ने ‘आपके आने जाने से लगता है दिल, है इजाजत तुम्हें आते जाते रहो, रूठ जाना हमारा बहाना ही तो है, मान जाएंगे हम तुम मनाते रहो‘ गज़ल से समां को मुहब्बत की खुषबू से महकाया। गांधीगंज के शहजादा कलीम खाने ने खंून में डूबी हुई शमशीर, बस खता ये है मेरी मैं कश्मीर हूं नज़्म से कश्मीर के दर्द का शिद्दत से इजहार किया। वहीं ‘होंठों पर कुरआन है हाथों में तस्वीह के दाने, अम्न की तब्लीग है करते अल्लाह के दीवाने, गोली बम बारूद सब हैं जेहनी, जेब में सिर्फ मिलेगी, इक मिस्वाक की टहनी‘ जैसे मिसरों के साथ ‘अब मत कहना हैं ये फसादी दाढ़ी टोपी वाले‘ नज्म से श्रोताओं के दिलों का छुआ। आदि ने भी उम्दा कलामों से श्रोताओं को आनंदित किया। संचालन जिया टोंकी ने किया। मुशायरे में सेठ उस्मान, लईक भाई, जाकिर मंसूरी, जमील अहमद, फारूख भाई, आबिद भाई बोहरा, वसीम मंसूरी, अब्दुल रषीद कबाड़ी, बबलू मंसूरी, आफाक अहमद आदि अतिथियों के रूप में मौजूद थे। मेलाध्यक्ष हरिराज सिंह गुर्जर, पार्शद गौरव शर्मा, शिवशंकर यादव, राहुल शर्मा, रूखसाना बानो, लियाकत अली, अखलाक अंसारी आदि ने शायरों और अतिथियों का स्वागत किया।
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