चित्तौडग़ढ़। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में की गई नोटबंदी के बाद जहां देश में अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है। वहीं बेरोजगारी में भी इजाफा हुआ है। नगर और जिले के आसपास के क्षेत्रों से दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले युवा अब फिर से रोजगार की तलाश में अपने कामों पर लौट आए हैं। इसका सीधा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाली मनरेगा योजना में देखने को मिल रहा है। नोटबंदी के बाद महानरेगा में एकाएक रोजगार के लिए इन युवाओं इन युवाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। नोटबंदी से एक दिन पूर्व 7 नवंबर को जिले में 4157 मजदूर काम कर रहे थे, लेकिन 15 नवंबर को यह संख्या बढक़र 6414 हो गई। मनरेगा में लगातार बेरोजगारों की संख्या पंजीकृत होती जा रही है और दिसंबर तक यह संख्या एकाएक बढक़र 19316 तक पहुंच गई। आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों द्वारा मनरेगा में पंजीकरण कराया जा रहा है।
नए साल में बढ़े श्रमिक
2017 के नए साल की शुरुआत होते ही श्रमिकों की संख्या बढक़र 23094 तक पहुंच गई, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वैसे भी जनवरी माह में श्रमिकों की संख्या कम ही पंजीकृत होती है, लेकिन इस वर्ष जनवरी माह में ही यह पंजीकरण बढक़र 23 हजार का आंकड़ा पार कर गया है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में करीब-करीब 5 गुना श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है। इससे साफ तौर पर पता चलता है कि चित्तौडग़ढ़ जिले से बाहर काम करने वाले श्रमिक वापस अपने गांव आकर मनरेगा में पंजीकरण करवा रहे हैं।
यह है जिले की मनरेगा मजदूरी
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