समझा जा रहा है कि आंतकियों ने जैसा घातक हमला किया, उससे जाहिर
होता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की मदद मिली थी, जिसे न केवल इस इलाके
की बल्कि सैनिक टुकडिय़ों की आवाजाही की भी पूरी जानकारी थी। आतंकियों ने
पहले एलओसी पर लगी बाड़ को पार किया और उसके बाद ब्रिगेड मुख्यालय पर लगी
बाड़ को, फिर सेना और सीमा सुरक्षा बल के पिकेट और चेकपोस्ट को भी भेदकर तक
अंदर तक पहुंच गए। एक सूत्र ने बताया, ‘ब्रिगेड मुख्यालय के अंदर घुसना
बहुत मुश्किल है, क्योंकि उसके चारों तरफ कड़ी सुरक्षा है। वह किले जैसा
है। मुख्यालय में पूरी तरह जान-पहचान का आदमी ही अंदर घुस सकता है इसलिए
जांचकर्ता संभावित ‘भेदिए’ की पड़ताल कर रहे हैं। जांच के दायरे में
कुलियों और टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को भी शामिल किया गया है।’
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