नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उरी में सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले की छानबीन शुरू कर दी है। एजेंसी जैश-ए-मोहम्मद के सभी चार आतंकवादियों के खून के नमूने ले चुकी है और अप डीएनए टेस्ट की योजना बना रही है। इस बीच, सूत्रों का कहना है कि हमले के पीछे किसी अंदर के भेदिए यानी गद्दार के आतंकियों से मिले होने की आशंका है।
एनआईए ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान में डीएनए सैंपल्स अहम साबित होंगे और पठानकोट में एयरबेस पर आतंकवादी हमले के मामले की तरह जांच रिपोर्ट से पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सकेगा। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सेना को संदेह है कि 12 इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले में आतंकियों को किसी ऐसे व्यक्रि ने मदद की है, जिसे कैम्प के बारे में अंदरूनी जानकारी थी। बताया जाता है कि आतंकियों को यह तक पता था कि कैम्प के अंदर ब्रिगेड कमांडर का दफ्तर और कार्यालय किस जगह पर स्थित है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, ‘सेना आतंकियों के नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सुखदर से होते हुए उरी पहुंचने के रास्ते की भी पड़ताल कर रही है। करीब 500 आबादी वाला सुखदर गांव ब्रिगेड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूर है। गांव और ब्रिगेड मुख्यालय के बीच स्थित जंगल की वजह से आंतकियों को मदद मिली होगी।’
सैन्य टुकड़ी की आवाजाही की थी जानकारी
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