नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट किसी भी मामले में संदिग्धों को लेकर मीडिया ट्रायल की सीमा रेखा तय कर सकता है। देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस जे एस खेहर ने इस बात के संकेत दिए। जस्टिस खेहर ने इस बात के संकेत दिए कि सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर सीमा रेखा तय करेगा कि प्री-ट्रायल, जांच के दौरान पुलिसकर्मी कितनी बातें मीडिया को बता सकते हैं क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स से कभी-कभी निष्पक्ष ट्रायल में दिक्कतें आने लगती हैं।
जस्टिस खेहर और जस्टिस एन वी रमण की बेंच ने इस मामले में उस सुझाव पर सहमति जताई कि मीडिया के लिए पुलिस ब्रीफिंग पर कुछ गाइडलाइंस तय होनी चाहिए। केंद्र सरकार की एडवाइजरी की तर्ज पर प्रस्तावित गाइडलाइंस में यह तय किया जाएगा कि क्या पुलिसकर्मी अभियुक्तों को कैमरे के सामने पेश कर सकते हैं या उनकी पहचान जाहिर की जा सकती है या नहीं।
जस्टिस खेहर का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की छवि काफी अहम होती है और किसी को गिरफ्तार करने के बाद अगर उसे मीडिया में दिखाया जाता है तो उसकी छवि खराब हो सकती है। बाद में उस व्यक्ति को भले ही बरी क्यों ना कर दिया जाए। ज्
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