नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि हिंदुत्व
क्या धर्म है या जीवन शैली, इस बात की सुनवाई नहीं करेंगे। 1995 के जजमेंट
पर दोबारा विचार नहीं करेंगे लेकिन ये तय करेंगे कि क्या धर्म के नाम पर
वोट मांगे जा सकते हैं।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि 20 साल पुराने फैसले के बाद 5 जजों की
बेंच ने जो रेफरेंस सात जजों की संविधान पीठ में भेजा उसमें यह बात कहां
लिखी गई है कि संवैधानिक पीठ को हिंदुत्व की व्याख्या करनी है। फैसले के
किसी भी हिस्से में इस बात का जिक्र नहीं है, जिस बात का जिक्र ही नहीं है
उसे हम कैसे सुन सकते हैं। कोर्ट फिलहाल इस बडी बहस में नहीं जा रहा कि
हिंदुत्व क्या है और इसका मतलब क्या है।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड, रिटायर्ड प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम और
पत्रकार दिलीप मंडल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिपप्णी की। सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी पर बाद में गौर किया जाएगा। कोर्ट ने इस याचिका
को लंबित रखा है।
सीतलवाड और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में
अर्जी दाखिल कर 20 साल पुराने हिंदुत्व जजमेंट को पलटने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि पिछले ढाई साल से देश में इन आदेशों की आड में इस
तरह का माहौल बनाया जा रहा है जिससे अल्पसंख्यक, स्वतंत्र विचारक और अन्य
लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऎसे में सुप्रीम कोर्ट को ऎसे भाषण
देने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई करनी चाहिए।
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