नई दिल्ली। देश भर में आवारा कुत्तों को मार डालने जैसी दलील दिए जाने पर
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की कि आवारा कुत्तों को भी जीने
का अधिकार है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ
ने टिप्पणी की कि आवारा कुत्तों को मारने की अनुमति है परंतु इसमें भी
संतुलन बनाने और इसके लिये उचित तरीके की आवश्यकता है।
इसी दौरान जब एक याचिकाकर्ता ने कहा कि वह चाहता है कि पूरे देश में ऎसे
कुत्तों का सफाया कर दिया जाए,तो न्यायालय ने टिप्पणी की, कोई भी पूरी तरह
आवारा कुत्तों का सफाया नहीं कर सकता। उनको भी जीने का अधिकार है। अतिरिक्त
सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने न्यायालय की इस टिप्पणी से सहमिति व्यक्त की
और कहा कि आवारा कुत्तों को भी जीने का अधिकार है और इसमें संतुलन बनाना
होगा।
शीर्ष अदालत केरल और मुंबई में विभिन्न स्थानीय निकायों द्वारा आवारा
कुत्तों, जो एक समस्या बन गए हैं, को मारने के बारे में दिए गए तमाम आदेशों
से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि
केरल में यह मानवीय चिंता का विषय था परंतु इसके लिए सभी कुत्तों का नहीं
मारा जा सकता। पीठ ने कहा कि कुत्ते के काटने से एक व्यक्ति की मौत हो सकती
है। यह एक हादसा है और इसके लिए हम सभी आवारा कुत्तों को मारने के लिए
नहीं कह सकते हैं।
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