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पुत्र मोह में पटेल ने ओढ़ा भगवा चोला : दिनकर

special negotiating to BSP Leader of Opposition in the Assembly Gaya charan Dinkar - Kanpur News in Hindi

कानपुर। बसपा सुप्रीमों के बदौलत आर.के. पटेल को पहचान मिली और उन्हें बहनजी ने दो बार प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बनाया। इसके साथ ही उन्हें सदैव संगठन में भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। लेकिन पुत्र मोह के चलते पार्टी से विश्वासघात कर विरोधियों से जा मिले। यह बात बहुजन समाज पार्टी के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गयाचरण दिनकर ने खास बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि आर.के. पटेल ने राजनीति की एबीसीडी बहुजन समाज पार्टी से सीखी है। पार्टी ने सदैव उन पर विश्वास किया और बुन्देलखण्ड कोऑर्डिनेटर से लेकर जोनल कोऑर्डिनेटर तक संगठन में जिम्मेदारी सौंपी। तीन-तीन बार पार्टी के बैनर तले विधायक बने और कैबिनेट मंत्री तक ओहदा मिला। लेकिन पुत्र सुनील पटेल को टिकट न मिलने के चलते पार्टी से विश्वासघात कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। हालांकि 2007 विधानसभा चुनाव में विश्वासघात कर चुके हैं, लेकिन उनके पिछले कार्यों को देखते हुए वापस लिया गया और लोकसभा का प्रत्याशी भी बनाया गया।
उन्होंने कहा कि ऐसे विश्वासघाती लोगों को जनता कभी माफ नहीं करेगी और अगर चुनाव मैदान में आते हैं तो अपनी जमानत भी नहीं बचा सकेंगे। कर्वी सदर विधानसभा की जनता बहुजन समाज पार्टी के साथ मजबूती के साथ खड़ी है।

प्रतापगढ़ से दिया गया था टिकट
दिनकर ने कहा कि आर.के. पटेल अपने पुत्र सुनील पटेल के लिए कर्वी सदर से टिकट मांग रहे थे। पार्टी परिवारवाद के खिलाफ है, फिर भी उनके बेटे को प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से टिकट दिया गया था।

दिनकर ने कहा- पटेल का नहीं है कोई वजूद
जब दिनकर से पूछा गया कि आर.के. पटेल बुन्देलखण्ड के कद्दावर नेता माने जाते हैं, ऐसे में उनके पार्टी छोड़ने पर भारतीय जनता पार्टी मजबूत हो जाएगी। तो कहा कि पटेल का अब कोई वजूद नहीं है। 2007 के चुनाव में भी पार्टी छोड़ दी थी इसके बाद भी कर्वी सदर से बसपा की ही जीत हुई थी। बताते चलें कि 2007 विधानसभा चुनाव हारने के बाद पटेल 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से जीत दर्ज की थी। 2014 में सपा से टिकट न मिलने के चलते बसपा में वापसी कर लोकसभा का चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहे।
पार्टी न छोड़ते तो निकाल दिए जाते
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बेटे को टिकट न मिलने के बाद पटेल पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो गये थे। जिसकी जानकारी बहन जी तक पहुंच गई थी, अगर वह पार्टी न छोड़ते तो बहन जी जल्द ही उन्हे निकाल देती।
राजनाथ का आशीर्वाद
सूत्रों की मानें तो आर.के. पटेल को भाजपा में लाने के पीछे गृह मंत्री राजनाथ सिंह का आर्शीवाद है। यह भी बताया जा रहा है कि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान ही राजनाथ पार्टी में लाना चाहते थे।

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