नई दिल्ली। अनुमान है कि 21 लाख भारतीय जो एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफियंसी वायरस) से संक्रमित हैं, वे कई मिश्रित दवाओं का सेवन संक्रमण को कम करने और जीवन बढ़ाने के लिए कर रहे हैं, लेकिन यह 44 प्रतिशत से भी कम है। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने लोकसभा में अप्रैल में ही कही थी। भारत में रोगियों को दिए जा रहे दवाओं के मिश्रण में सीडी4 कोशिकाओं की गणना 350 से कम को आधार मानकर दी जाती है। सीडी4 कोशिकाएं श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं, इसकी गणना से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के इम्यून सिस्टम का पता चलता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 940,000 (70 प्रतिशत) 13 लाख एचआईवी संक्रमित रोगी जिनका सीडी गणना 350 से कम है, वे एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) पर है। यह स्थिति बच्चों में बदतर है जहां करीब 36 प्रतिशत को ही एआरटी मिल पा रही है। एआरटी दवाओं के एक निर्धारित संयोजन में लेने पर इससे एचआईवी वायरस की वृद्धि रुक जाती है और बीमारी धीमी हो जाती है। यह वायरस को मारता या इसका इलाज नहीं करता है।
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