वाराणसी। काशी के
प्रसिद्ध कर्मकांडी और ज्योतिष मर्मज्ञ आचार्य पं.श्रीधर पाण्डेय जी के अनुसार षटतिला एकादशी व्रत पर कुल 6 प्रकार से तिल के प्रयोग का विधान है, यह एकादशी दिनांक 22 जनवरी
को ही रात्रि में 9 बजकर 52 मिनट पर लग जा रही है और इसका मूहुर्त 23 जनवरी को
रात्रि 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। [@ यहां पति के जिंदा रहते महिलाएं हो जाती हैं विधवा] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
आचार्य पाण्डेय के अनुसार एकादशी पर ब्रह्म
मूहुर्त में स्नानादि से निवृत्त हो भगवान श्री कृष्ण मंत्र का 108 जप करें। फिर
व्रत का शुभारंभ करें, चूंकि यह व्रत षटतिला है अतः इसमें तिल का छ: प्रकार से
प्रयोग करें। जैसे पहले तिल के जल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल द्वारा हवन,
पूरे व्रत पर्यन्त तिल मिले जल का पीना, तिल युक्त पदार्थों का सेवन और तिल का दान
करना चाहिए। इस प्रकार के व्रत से सर्व पापों का नाश और अभीष्ट फल, पुण्य लाभ
मिलता है।
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