कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कूटनीति में काफी निजी ऊर्जा
खर्च की है, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि देश में हेट इन इंडिया को
बढावा देकर बाहर मेक इन इंडिया का प्रचार कठिन है। यह कहना है पूर्व
केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का। थरूर के अनुसार, मोदी की विदेश नीति इस
अवधारणा पर आधारित है कि विक्रेता एक खाली डिब्बा बेचने का प्रयास कर रहा
है।
थरूर, अपनी किताब एन एरा ऑफ डार्कनेस के प्रचार के लिए कोलकाता आए थे। इसी
दौरान उन्होंने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, उन्होंने अपनी
कूटनीति में अपनी काफी ऊर्जा खर्च की है और इससे कोई इंकार नहीं कर रहा।
उन्होंने अथक यात्राएं की हैं। वह भारत और भारत के विकास को लेकर अपने
दृष्टिकोण के विक्रेता रहे हैं।
लेखक और कांग्रेसी नेता ने कहा, लेकिन इसमें दो समस्याएं हैं।
उन्होंने कहा, पहली यह कि यह धारणा बढती जा रही है कि यह विक्रेता खाली
डिब्बा बेच रहा है। देश की वास्तविक स्थिति को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जा
रहा। उदाहरण के तौर पर भारतीय निवेशक भारत में अधिक निवेश नहीं कर रहे।
हमारे देसी पूंजीवादी अपना पैसा बाहर ले जा रहे हैं। वहीं, श्रीमान मोदी
विदेशियों को भारत में निवेश करने के लुभावने आकर्षण बेचने का प्रयास कर
रहे हैं। यह एक असली समस्या है।
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