राजसमंद। मोखुन्दा जैन श्वेताम्बर संघ के तत्वावधान में चल रहे अंजनश्लाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन कल्याणकों की महिमा का वर्णन करते हुए आचार्य गुणरत्न सुरीश्वर ने कहा कि कल्याण करने वाले कल्याणक कहलाते हैं। जब-जब परमात्मा के कल्याणक होते हैं तब पूरे विश्व में उजाला व सातों नरक के जीवों को सुख-शांति का अनुभव होता है। महोत्सव के तहत वाराणसीनगरी एवं भरचक्रवर्ती भोजनखंड का उदघाटन किया गया। इस अवसर पर पचास से अधिक साधु-साध्वियों के सान्निध्य में श्रीमल्लीनाथ मंदिर प्रांगण में मंत्रोच्चार के साथ शिवलाल पोखरणा एवं उनकी धर्म पत्नी सुशीला देवी की स्थापना भगवान पाश्र्वनाथ के माता-पिता वाराणसी के नरेश अश्वसेन महाराज एवं महाराणी वामादेवी के रूप में की गई। पन्नालाल पोखरणा एवं उनकी पत्नी कान्तादेवी की स्थापना इन्द्र व इन्द्राणी रूप मे किया गया। इसके बाद पंचकल्याण के विधान शुरू हुए। [# यहां पिया मिलन की तड़प में विरहणी गाती है कुरजां] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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