जयपुर। राजस्थान में अब जल्द बेघर लोगों को आश्रय मिलेगा, उनके लिए आश्रयस्थल बनेंगे। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बादगठित कमेटी (कोर्ट कमिश्नर्स) के अध्यक्ष माननीय जस्टिस
कैलाश गम्भीर (सेवा निवृत्त) की अध्यक्षता में बेघर व्यक्तियों के अधिकारों
व शहरी क्षेत्रों में आश्रय स्थलों की स्थापना, संचालन, प्रबन्धन एवम्
इससे सम्बन्धित प्रमुख मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए स्वायत्त शासन विभाग
में एक बैठक मंगलवार को आयोजित हुई। [ श्याम मसाले ने कराई घर घर में मौजूदगी दर्ज] [ वचन निभाने को लड़ते हुए दो बार दी थी इस वीर ने जान!] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
बैठक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति के सदस्यों के अतिरिक्त
प्रमुख शासन सचिव, स्वायत्त शासन विभाग डां. मनजीत सिंह, निदेशक एवम्
संयुक्त सचिव, पवन अरोड़ा, नगर निगम, जयपुर के आयुक्त हेमन्त
गेरा, परियोजना निदेशक एस.आर.मीणा एवम् सभी नगरीय निकायों के
आयुक्त/अधिशाषी अधिकारी, सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता विभाग, चिकित्सा
एवम् स्वास्थ्य विभाग, जनस्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग, ऊर्जा विभाग के
प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक में माननीय सर्वोच्च न्यायालय
द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष माननीय जस्टिस कैलाश गम्भीर (सेवा निवृत्त)
ने सभी अधिकारियों से आश्रय स्थल की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से विचार
विमर्श किया। उन्होने निर्देश दिये कि प्रदेश में सभी आश्रय स्थलों का
संचालन एवम् रख-रखाव दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
(एन.यू.एल.एम.) में निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरुप ही किया जावे।
उन्होने कहा कि प्रदेश में शहरी बेघर लोगों की संख्या जानने के लिए नगरीय
निकाय सर्वे करवाए। पूर्व में यह सर्वे 2003 में हुआ था। उन्होंने कहा
कि आश्रय स्थलों के निर्माण एवम् रख-रखाव के लिए वर्ष 2022 तक का एक्शन
प्लान बनाया जावे।उन्होने कहा कि प्रदेश में आश्रय स्थलों का
निर्माण एवम् रख-रखाव दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
(एन.यू.एल.एम.) में निर्धारित गाईड लाईन के अनुरुप किया जावे एवम् वहंा सभी
सुविधाओं के रुप में सोने के लिए गद्दे, चद्दर, कम्बल, सम्पूर्ण प्रकार की
जन सुविधायें, फर्स्ट एड बाक्स, सुरक्षा व्यवस्थाएं आर.ओ., सी.सी.टीवी,
स्टोर, किचिन उपलब्ध हों तथा वंहा पर 24 घण्टे प्रशिक्षित केयर टेकर
नियुक्त किया जावे। वहंा पर मेडिकल की सुविधायें उपलब्ध हों तथा समय-समय पर
मेडिकल टीम वहां का निरीक्षण करें एवम् आवश्यकतानुसार चिकित्सा सुविधायें
उपलब्ध करावें। उन्होने आश्रय स्थलों पर महिलाओं के लिए अलग स्थान,
सुविधायें उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया।उन्होने कहा कि प्रदेश
में स्थित आश्रय स्थलों की समस्त जानकारी स्टेट पोर्टल एवम् दीनदयाल
अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) पोर्टल पर उपलब्ध
करवायी जावे जिससे प्रत्येक शहर में स्थित आश्रय स्थलों की कैपेसिटी, आश्रय
स्थलों की जानकारी, स्थान, संख्या, सुविधाएं, व्यवस्थाओं की सम्पूर्ण
जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए तथा सभी शहरों में इनके बारे में जानकारी के लिए
होर्डिग लगवाये जावें तथा बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन पर इनकी जानकारी
उपलब्ध करवाई जावे। आश्रय स्थल मे संचालकों के पद सहित दूरभाष नम्बर भी
अंकित करवाये जावें।
उन्होने बताया कि दिल्ली में अधिकतर आश्रय
स्थलों का संचालन एन.जी.ओ. के माध्यम से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। ऐसा
राजस्थान में भी किया जा सकता है। उन्होने बताया कि कमेटी ने जयपुर में कुछ
आश्रय स्थलों का निरीक्षण किया, वहां पर स्थिति ठीक पाई गई परन्तु सभी
आश्रय स्थलों को दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
(एन.यू.एल.एम.) की गाईड लाईन के अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी तथा
सभी आश्रय स्थलों के संचालन एवम् रख-रखाव में प्रशिक्षित स्टॉफ रखा जाना
होगा। उन्होने इस बात पर भी जोर दिया कि आश्रय स्थलों पर
दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) में
निर्धारित सभी सुविधायें निर्धारित समय में आवश्यक रुप से उपलब्ध करवाई
जावे एवम् इसके लिए आवश्यक रोड़ मैप बनाया जावे।
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