यह सौदा राफेल लड़ाकू विमानों का सबसे बड़ा सौदा है। इससे पहले मिस्र और कतर ने पिछले साल 24-24 विमानों का ऑर्डर दिया था। भारत ने 126 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए चार साल पहले विशेष बातचीत शुरू की थी, लेकिन विमानों की लागत को लेकर जटिल बातचीत के बीच विमानों की संख्या कम हो गई। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस लड़ाकू विमान की खरीद पर संप्रग सरकार के काल की कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत आफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और ऑफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे।
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