नरेंद्र शर्मा, अमृतसर। पंजाब में बढ़ रही हिंसक घटनाओं को लेकर देश एबं राज्य की सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है की आतंकवाद राज्य में पुनः दस्तक दे रहा है। अस्सी के दशक के शुरू में भी डेरा प्रेमियों की तरह
निरंकारियों को लेकर इसी प्रकार इक्का -दुक्का हत्याओं का सिलसिला आरम्भ हुआ था।
एजेंसियां पिछले ढेड़ महीने से भी कम समय में आरएसएस नेता गगनेजा , लुधियाना में हिन्दू संगठन के नेता ,माता चाँद कौर की हत्याएं ,मोड़ मंडी में बम विस्फोट और अब दो डेरा प्रेमियों की हत्या को इसी सन्दर्भ में ले रही हैं। इन एजेंसियों का मानना है की यह हत्याएं कोई इतफाक
नही हैं बल्कि योजनाबद्ध ढंग से किये गए आतंकी हमले हैं। [ श्याम मसाले ने कराई घर घर में मौजूदगी दर्ज] [ एक ऐसा मंदिर जिसमें शिला रूपी स्वयंशम्भू का आकार बढ़ रहा है ] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
पंजाब इंटेलिजेंस के प्रमुख गौरव यादव का कहना है की शुरुआती जाँच में डेरा प्रेमियों की हत्या भी एक आतंकवादी हमला ही नज़र आ रही है क्योंकि आरएसएस नेता गगनेजा ,हिन्दू तखत के प्रमुख अमित , मौड़ मंडी विस्फोट और डेरा प्रेमियों की हत्या का ढंग एक जैसा है। अभी तक किसी भी घटना के दोषी की गिरफ्तारी सम्भव नही हो पायी है परन्तु अभी तक इन बारदातों के बारे में जो सुराग मिले हैं उनसे एक बात स्पष्ट है की इन्हें अंजाम देने वाले कम उम्र और शारीरिक तौर पर पूर्णतय फिट युवा थे। इन सुरागों से यह भी स्पष्ट हुआ है की यह युवा हथियार चलाने में पूर्णतय निपुण थे। इन्होंने हथियार चलाने का बाकायदा प्रशिक्षण ले रखा था। सभी बारदातों के लिए हत्यारों ने दोपहिया वाहन का ही प्रयोग किया था ताकि भागने में आसानी रहे । इन सभी समानताओं से लगता है की यह बारदातें किसी एक ही ऑउटफिट की और से अंजाम दी गयी हैं !
गुप्तचर बिभाग के सूत्रों का कहना है की पिछले कुछ दिनों से ऐसा आभास हो रहा था की आतंकी किसी बड़ी बारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं क्योंकि उनके ठिकानो के आसपास
कुछ सक्रियता देखी जा रही थी। यह अंदाज नही लग पा रहा
था कि वह क्या करने जा रहे हैं। इन सूत्रों का कहना है की आतंकियों ने यह बारदातें नए भर्ती
किये गए युवाओं से करवाई हैं ।
इन एजेंसियो का कहना है की निकट भविष्य में ऐसी और भी हिंसक बारदातें हो सकती हैं क्योंकि आतंकवादी नई सरकार को जमने का समय देने के लिए तैयार नही है। उनका विचार है की नई सरकार की आमद पर ताबड़तोड़ बारदातों का सिलसिला आरम्भ कर दिया जाये ताकि नई सरकार को सम्भलने का समय ही ना मिले। पंजाब के आतंकवादी दौर के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अस्सी के दशक में भी बादल सरकार के जाते ही निरंककारियों को लेकर ऐसे ही छिटपुट हिंसा शुरू हुयी थी जो बाद में एक नासूर का रूप धारण कर गयी थी जिसका परिणाम ऑपरेशन ब्लू -स्टार के रूप में सामने आया था।
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